जन जन की आस्था एवं श्रद्धा के केंद्र,मालवा के भगवान, राजगढ़ नंदन ,महा तपस्वी , आयम्बिल के अजोड़ आराधक, चरित्र चूड़ामणि वर्धमान तपोनिधि,जीरावाला , भोपावर महातीर्थ उद्धारक, मालव भूषण, अपूर्व वैयावच्चकारी, विराट विरल व्यक्तित्व के स्वामी प्रातः स्मरणीय बाल ब्रह्मचारी परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री नवरत्न सागर सुरिश्वर जी महाराजा का मालवा पर बहुत उपकार है धर्म भावना, धर्म बीज ,त्याग ,तपस्या ,श्रद्धा, विश्वास तथा सभी की रग रग में धर्म संस्कारों का रोपण एवं सिंचन तथा धर्म कार्य से जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य गुरुदेव ने किया है
आपका जन्म जन्म विक्रम संवत 1999 चैत्रवदी तीज मार्च 1942 को राजगढ़ नगरी की पुण्य धरा पर हुआ आपके बचपन का नाम रतन कुमार था तथा दीक्षा 12 वर्ष की अवधि में हुई ।आपके पिताजी का नाम श्रेष्ठीवर्य श्री लालचंद जी जैन पोसित्रा तथा माता श्रीमती माणिक बाई जैन पोसित्रा (सांसारिक नाम)श्री मणिप्रभा श्री जी महाराज साहेब है
आपकी दीक्षा विक्रम संवत 2011मगसर सुदी छठ सन् 1954 को आपके गुरु आचार्य भगवंत श्री श्री चंद्र सागर जी महाराजा के करकमलों द्वारा संपन्न हुई
आपको गणि पद विक्रम संवत 2036 को कार्तिक सुदी पंचमी के दिन अहमदाबाद में प्राप्त हुआ प्रन्यास पद विक्रम संवत 2039 को वैशाख सुदी तीज के दिन शंखेश्वर महातीर्थ में प्राप्त हुआ मालव भूषण पद विक्रम संवत 2045 में बैसाख सुदी पूनम को उज्जैन में प्राप्त हुआ
उपाध्याय पद विक्रम संवत 2047 में वैशाख सुदी दसमी के दिन पुणे में प्राप्त हुआ , आचार्य पद विक्रम संवत 2050 में मगसर सुदी छठ 30 नवंबर 1992 को भायखला मुंबई में राजगढ़ श्री संघ, मालवा के बहुत से श्री संघ,गुजरात, महाराष्ट्र, सौराष्ट्र , राजस्थान , बिहार, कलकत्ता आदिके श्री संघ तथा आचार्य श्री के पोसित्रा परिवार जनों की उपस्थिति में प्राप्त हुआ
आपका विहार लगभग 2 लाख 61000 किलोमीटर रहा
आपका धर्म कार्य स्थल सम्पूर्ण मालवा क्षेत्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, सौराष्ट्र, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, कलकत्ता, पश्चिम बंगाल, चैन्नई आदि रहे हैं
सात व्यसनों का त्याग,बलि प्रथा की समाप्ति, समाज में फैली हुई कुरीतियों एवं अंधविश्वास को दूर करने का सामाजिक कार्य भी आपने पूर्ण सफलता से किये
आपने सूरिमंत्र की आराधना भी सम्पूर्ण जगत के कल्याण के लिए की
भक्तों की आधि व्याधि, दुःख, कष्ट आदि को दूर करने के लिए महामांगलिक श्रवण करवाना शुरू किया, उनके इस परोपकारी कार्य को उनके शिष्य आचार्य भगवंत श्री विश्व रत्न सागर सूरिश्वर जी महाराजा तथा आचार्य भगवंत श्री मृदु रत्न सागर सूरिश्वर जी महाराजा तथा प्रशिष्य गणिवर्य श्री आदर्श रत्न सागरजी महाराज पूर्ण कर जगत का कल्याण कर रहे हैं
आपने लगभग 251 तेले अनेक बेले वर्षितप,अट्ठाईस, 11 उपवास तथा 194 वी ओली की आराधना करते हुए महावदी पंचमी,जनवरी 2016 मे चैन्नई के पास वैल्लूर में नवकार मंत्र का जाप करते हुए अपनी नश्वर देह को त्याग कर दिव्य ज्योति में लीन हो गए
मैं परम् पिता परमेश्वर तथा आचार्य भगवंत से प्रार्थना करता हूं कि आचार्य भगवंत दिव्य लोक से आशीर्वाद रूपी अमृत हम पर सदा बरसाते रहे तथा विश्व का कल्याण करते रहे
- प्रफुल्ल फूलचंद जैन पोसित्रा
आचार्य भगवंत के सांसारिक भतीजे एवं श्री शांतिनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर पेढ़ी ट्रस्ट भोपावर महातीर्थ ट्रस्टी
राजगढ़ (धार) मध्यप्रदेश