सरदारपुर। भोपावर में शुक्रवार को गल-चूल मेले का आयोजन हुआ। मेले में झूले, चकरी के साथ ही खान-पान की दुकानों पर काफी भीड़ रही। मेले में 51 फीट गल पर चढ़कर मन्नताधारी पुरुषों ने परिक्रमा लगाई तथा महिलाएं धधकते अंगारों पर नंगे पैर चली।

ग्राम पंचायत भोपावर सरपंच प्रतिनिधि मदन मखोड़ ने बताया कि के होल्कर राजवंश की अहिल्याबाई के पति खांडेराव होल्कर की मृत्यु के उपरान्त इन गांवो मे खांडेराव के नाम से गल की स्थापना की गई थी। इसके पीछे की धार्मिक मान्यता यह है कि लोग प्रतिवर्ष अपनी मनोइच्छा पूर्ण करने के लिए मन्नत लेते है। वर्षभर मे मन्नत पूरी होने के बाद लाल, सफेद वस्त्र धारण कर मन्नतधारी पुरुष 51 फीट ऊंचाई के मचान के गल पर चढ़कर पीठ को कपड़े से बंधवा लेता है। नीचे खड़ा व्यक्ति गल के चारो और नंगे पैर दोड़ लगाकर मन्नतधारी पुरुष श्रद्धालु को कम से 2 से 3 मिनट गोल गोल घुमाता है।
वही महिला मन्नतधारी 15 फीट रास्ते पर धधकते अंगारो पर नंगे पैर चलकर मन्नत पूरी करते है। होली धुलेंडी के अवसर पर पारंपरिक रूप से गल-चूल मेले का आयोजन होता है। मेले में क्षेत्रभर से हजारों ग्रामीण शामिल हुए। वही दोपहर में ग्राम पंचायत भोपावर द्वारा मेले में शामिल हुए मांदल दलों को सम्मानित किया गया। इस दौरान उपसरपंच हेमंत डांगी, पंच गोपाल मारू, राकेश पड़ियार, इंदर सिह अराडी, जैसवाल भूरिया, मनोहर, मुकेश मखोड़ सहित अन्य मौजूद रहे।