रिंगनोद। जनजाति समाज की बड़वा गायन परम्परा समाज से विलुप्त होती जा रही हैं। उसी परम्परा को जीवित रखने के लिए नवरात्रि के पर्व पर जनजाति विकास मंच के द्वारा अनेक आयोजन किए जा रहे है जिसमें मुख्य रुप से बड़वा गायन प्रतियोगिता का आयोजन ग्राम उंडेढ़ स्थित गौमुख धाम पर किया गया। प्रतियोगिता में जिले के अलग-अलग स्थानों से 10 अधिक दलों ने भाग लिया। सभी दलों को प्रोत्साहन राशि व भगवान बिरसा मुण्डा के चित्र भेंट किए। प्रतियोगिता का उधेश्य समाज में जनजागृति लाना हैं।

दरअसल, जनजाति लोक संस्कृति में बड़वा परम्परा सदियों से चली आ रही है। इस परम्परा के आधार पर समाज के लोग अपनी कुल परम्परा के आधार पर देवी देवता एवं पुर्वजो का आव्हान कर उन्हें प्रसन्न करते हैं। यह दिवासा से प्रारंभ होकर जवारा नौरता तक चलती है। मान्यता है कि देवशक्ति के द्वारा गांव ने घटने वाली घटनाओं को भी बताया जाता हैं। क्योंकि इनमें किसी व्यक्ति को देवशक्ति यानि शरीर में भार आना प्रारंभ हो जाती हैं। जिससे भविष्य में होने वाली घटनाओं का बड़वा जिक्र कर देता है। वर्तमान में जनजाति समाज की बड़वा गायन परम्परा समाज से विलुप्त होती जा रही है। उसको पुर्नजीवित करने के लिए कई आयोजन किये जा रहे हैं। जिसे क्षैत्र के बड़वा दल एकजुट होकर एक साथ अपनी कलाकृति को दिखा सके। इस जनजाति द्वारा आयोजन मुख्य रुप से रिंगनोद के समीप गौमुख धाम हनुमान मंदिर पर होता है। क्योंकि यहां अदभुत दिव्य शक्ति हैं। जो मन्नत लेने पर पूर्ण होती हैं। पुरानी मान्यता के आधार पर बताया जाता है कि यहाॅ गौमुख आकृति है जिससे दुध निकलता है। जिससे यह दिव्य स्थान को गौमुख धाम कहते है।विषेषकर बड़वा नवरात्रि के इन दिनों में हजारों की संख्या में पहुँचकर यहाॅ स्नान करने के साथ नए बड़वा तैयार करने आते है इन बड़वा के द्वारा अनेक गीत के बोल से खेल नाटक भी किया जाता हैं तथा मनोंरंजन भी करते हैं। यह लोग अपने पूर्वजो के नामो के साथ ही अपने ईष्ट देव को याद करते है। यह परम्परा सदियों से चली आ रही हैं। इसकी खास बात यह है कि जितने भी लोग देवी देवताओ का आव्हान कर समाज नई जन जागृति लाने का प्रयास कर रहे हैं।
जिला मीडिया प्रमुख दिलीप मछार ने बताया कि हमारी जनजाति परम्परा संस्कृति रीति-रिवाज सहित त्यौहारो को भूलना नहीं हैं। यह हमारे समाज की पहचान है। जनजाति समाज के लोगो को धर्मान्तरण के लिए इसाई पादरी लोग गांव पहुॅचकर जनजाति के लोगो को प्रलोभन देकर हमारी संस्कृति से दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन ऐसे लोगों के झांसे में नहीं फसना हैं तथा ईसाई लोगो से दूर रहकर हमारी पटेल तड़वी बड़वे गायन कर परम्परा को बरकरार रखना हैं।

वही उण्डेढ गांव के सालम मचार ने बताया कि पिछली तीन पीढ़ियों से देखते आ रहे है कि ग्रामीण क्षैत्र के लोगो के पास आवागमन के संसाधन नही थे तो वे गौमुख धाम पैदल आते थे और यहाॅ आकर अपनी बड़वा गायन परम्परा को जीवित रखकर अपने पूर्वजो को याद करते थे। प्रतियोगिता के दौरान राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रांत सह व्यवस्था प्रमुख अभिषेक गुप्ता, विभाग प्रचारक दिनेश तेजरा, विभाग जागरण प्रमुख विजय पालसिंह, जनजाति विकास मंच जिलाध्यक्ष अरविंद डावर, उपाध्यक्ष धनसिह सोलंकी, पूर्णकालिक राम प्रकाश मछार, युवा प्रमुख केशव बघेल, सरदारपुर ब्लाॅक अध्यक्ष भूरालाल गुण्डिया, विधि प्रमुख राहुल भूरिया, तड़वी राजु कटारा,अजय मोरी, हेमराज पाल, भूरसिंह देवत, छगन आदि शामिल हुए।