मकर संक्रांति की राम-राम के साथ एक बार फिर ‘चिट्ठी सरदारपुर की’ आपके बीच कुछ संदेशे लेकर आई है। मकर संक्रांति पर आसमान में उड़ती पतंगों में कइयों के राजनीतिक मांझे उलझन में नजर आ रहे हैं। इन दिनों जिले की राजनीतिक में सत्ताधारी पार्टी के जिले के कप्तान बनने को लेकर हर दिन-हर घंटे समीकरण बदलने से नेताओ के पिछ लग्गू भैयाओं की पतंग कब कट जाएगी इसका कोई भरोसा नही हैं.. खेर आप ‘चिठ्ठी सरदारपुर की’ को दिल पर ना लेना.. बस चाइनीज मांझे से खुद को बचाएं रखना..

कांग्रेस की नगर परिषद में कांग्रसियों की ही नहीं हो रही सुनवाई –
धार जिले की प्रमुख व्यापारिक नगरी राजगढ़ में विगत आधे दशक से अधिक समय से नगर परिषद पर कांग्रेस का कब्जा हैं। लेकिन बीते कुछ महीनों से राजगढ़ की कांग्रेस शासित नगर परिषद में कांग्रेसियों की ही सुनवाई नहीं हो रही हैं। बीते कुछ दिनों पहले ही एक पार्षद का लेटर भी विधायक के नाम से वायरल हुआ था। जिसमें वे नगर परिषद में खुद की अनदेखी करने का आरोप लगा रहे थे। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेसी नगर परिषद के आलम तो यह हैं कि कट्टर कांग्रेसी पार्षदों के काम भी अटके हुए पड़े हैं। हालांकि बीते दिनों इसी नगर परिषद में एक हास्यप्रद बात यह भी सामने आई कि ई रिक्शा के मामले में लगे आरोपो में नगर परिषद को क्लीन चिट मिलना बताया गया, जिसकी प्रेस वार्ता महज इक्का-दुक्का पत्रकारों को बुलाकर की गई। वैसे विधायक प्रताप ग्रेवाल की अथक मेहनत से ही नगर परिषद पर कांग्रेस काबिज हुई थी। अब अगर भविष्य में फिर इस पर कायम रहना हैं तो विधायक ग्रेवाल को यहाँ दखल देना जरूरी होगा। वरना भाजपा की चुनावी रणनीति का कोई तोड़ नहीं हैं…।

भाजपा नेताओं ने इंदौर – भोपाल जाकर दिया अपने अनुशासन का परिचय –
भाजपा में संगठन चुनाव के चलते बीते माह मंडल अध्यक्ष के लिए जोरदार घमासान चला। और घमासान भी ऐसा चला कि अनुशासन का पर्याय बन चुकी भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने इंदौर और भोपाल जाकर अपने अनुशासन का ऐसा परिचय दिया कि सरदारपुर विधानसभा के 5 में से 3 मंडल अध्यक्ष की घोषणा पार्टी संगठन को रोकना पड़ी। इधर सूत्रों की माने तो कुछ मंडल अध्यक्षो के नामों की ऐसी घोषणा हुई कि जिनके पर्चियों में नाम ही नहीं थे। हालांकि भाजपा एक बड़ा परिवार हैं, कुछ मनमुटाव चलता रहता है, लेकिन पिछले माह मंडल अध्यक्षो की घोषणाओं को लेकर जो अंतरकलह देखने को मिला वह भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है। पार्टी संगठन को इस और विचार करना होगा।

कॉपी-पेस्ट वाला विभाग और उसके कारनामे –
सरदारपुर में इन दिनों एक कॉपी-पेस्ट वाला विभाग काफी सुर्खियों में हैं। इस विभाग में सूचना के अधिकार में मांगी जाने वाली जानकारी से बचने के लिए हर जवाब को कॉपी कर पेस्ट कर दिया जाता है। इस विभाग के कारनामे भी बड़े है। नोनिहालो के भविष्य को सुधारने के लिए जो राशि आती हैं उसे ही हजम किया जा रहा हैं। धरातल पर अगर भौतिक सत्यापन हो तो इस विभाग में बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हो जाएगा। इस विभाग प्रमुख से इनके सहकर्मी भी परेशान। सूत्र तो यह बताते है कि कुछ माह पहले जब कलेक्टर साहब का दौरा हुआ तो इस विभाग के प्रमुख ने भ्रमण के कुछ घंटे पहले ही उपस्थिति रजिस्टर बदल दिया था। हालांकि बताया जा रहा है कि पिछली शिकायतों की जांच मे कॉपी पेस्ट वाले विभाग प्रमुख की जल्द ही रवानगी हो जाएगी।