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राजगढ़ – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पथ संचलन निकला, जगह-जगह हुआ स्वागत, मुख्यवक्ता राठौड़ ने कहा- असंगठित हिंदू समाज को संगठित करने के लिए हुई संघ की स्थापना

राजगढ़। विजयादशमी उत्सव के तहत राजगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विशाल पथ संचलन निकला। जिसमे सैकड़ो गणवेशधारी स्वयंसेवक घोष की धुन पर कदमताल करते हुए निकले। जिनका जगह-जगह नगरवासियों द्वारा पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

पथ संचलन से पहले राजगढ़ में मेला मैदान स्थित शिव वाटिका पर स्वयं सेवकों का एकत्रीकरण हुआ। यहां स्वयंसेवकों ने शारिरिक प्रदर्शन किया। शस्त्र-पूजन के बाद मंचीय कार्यक्रम शुरू हुआ। मंच पर मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला कार्यवाह तरुण राठौड़ मंचासिन रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी गौरव शैलेंद्र कुमार जैन ने की। साथ ही संघ के खंड संघचालक मनीष खाबिया व नगर कार्यवाह रोहित सोलंकी भी मंचासिन रहे।

ध्वज प्रणाम, परिचय, सामुहिक गीत, अमृत वचन, एकलगीत के बाद नगर कार्यवाह रोहित सोलंकी ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए राजगढ़ नगर में संघ के कार्य की शुरुआत से लेकर वर्तमान समय तक के कार्यो पर प्रकाश डाला। वही मुख्य वक्ता तरुण राठौड़ ने स्वयंसेवको को संबोधित करते हुए कहा कि असंगठित हिंदू समाज को संगठित करने के लिए डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना आज से ठीक सौ वर्ष पहले की थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सौ वर्षों के सफर में कई कठिनाईयां भी आई लेकिन स्वयंसेवको के समर्पण के कारण संघ ने अपने सौ वर्ष पूर्ण किए हैं।

मुख्य वक्ता राठौड़ ने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन के वृतांत सुनाते हुए। संघ की परंपरा, व्यक्ति निर्माण और समाज संगठन की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ की शाखा के माध्यम से ही व्यक्ति का निर्माण होता है। उन्होंने संघ के पंच परिवर्तन, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य व स्वदेशी आधारित जीवन शैली को अपनाने का आव्हान किया। यहां कार्यक्रम में नगर के गणमान्य नागरिक व मातृशक्ति भी शामिल हुई।

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