सरदारपुर। अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिये भले ही कॉपी- पेस्ट वाला विभाग सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने मे आनाकानी कर रहा हो लेकिन इस विभाग के अंतर्गत आने वाले एक दर्जन से अधिक समूह मेंसे एक समूह की सूचना के अधिकार के तहत खर्च की गई। शासकीय राशि के बिल वाउचरो की प्रमाणित प्रति प्राप्त की गई। जिसमे पिछले छः माह से भी अधिक समय से कॉपी पेस्ट वाले विभाग के मुखिया अपने कार्यालय तो ठीक अपने अधीनस्थ आने वाली संस्थाओं को भी सूचना के अधिकार के तहत जानकारी नहीं देने के लिये अपने रटे-रटाये जवाब देने के लिये कहते रहे हो लेकिन एक समूह के द्वारा उनकी नहीं सुनी जाकर खर्च की गई राशि के बिल वाउचर की जानकारी दी गई।
बड़ा भ्रष्टाचार आया सामने –
एक वित्तीय वर्ष मे खर्च की गई राशि में बडा भ्रष्टाचार सामने आया है। नीति नियमों को ताक मे रखकर फर्मो को भुगतान किया गया है। वही तहसील की एक फर्म जिस पर से अधिकांश शासकीय कार्यालयो को सामग्री सप्लाई होती है। उसके बिना जीएसटी के बिलो का भुगतान किया गया है यानी कुल मिलाकर सरकारी खजाने को नुकसान किया गया। यही नहीं इस समूह मे कुछ संस्थाओं ने जिला मुख्यालय से सामग्री क्रय की गई उनके बिलो में नियमो के तहत जीएसटी जोडा गया है। वही कुछ सामग्री बाजार मूल्य से चार गुना राशी पर खरीदी गई है। यानी 20 रुपये की वस्तु का 80 रुपये का बिल लगाया गया है। यदि कॉपी- पेस्ट वाले विभाग के द्वारा खर्च की गई राशि का सही तौर पर भौतिक सत्यापन हो तो बडा भ्रष्टाचार उजागर होने वाला है।
राजगढ़ की एक दुकान के जरिए किया खेल –
सूचना के अधिकार में मिली जानकारी के अनुसार राजगढ़ की एक दुकान के बड़ी मात्रा में बिल लगाए गए। जिसमे कमीशनखोरी की बू आ रही है। क्योंकि राजगढ़ की उक्त दुकान के बिलों में जीएसटी जोड़ा ही नही गया। जब अन्य स्थानों की दुकानों के बिल का भुगतान मय जीएसटी हुआ। साथ ही राजगढ़ ओर अन्य स्थानों की दुकानों के भाव में भी काफी अंतर है।
सूत्र बताते है की कॉपी पेस्ट वाले विभाग मे कमीशन का ऐसा खेल खेला गया की बिना सामग्री के ही हजारों का भुगतान फर्मो को कर दिया गया यही नहीं कलर मे भी बडा खेला हुआ है। जिसके बिल वाउचर की प्रमाणित प्रति देने मे कापी पेस्ट वाला विभाग आनाकानी कर रहा है। जल्द ही उक्त पूरे मामले की शिकायत कलेक्टर सहित कमिश्नर को मय दस्तावेज की जाएगी।