दीपावली की जगमगाती रातों के बाद हल्की गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है। लेकिन दिन की तपन बरकरार है। इसी बीच “चिट्ठी सरदारपुर की” कई संदेशे लेकर आपके बीच आई हैं। कोई बात दिल पर ना लेना, सभी को दीवाली की राम-राम…
विधायक प्रताप ग्रेवाल को मिली बड़ी जिम्मेदारी –
बीते दिनों प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपनी जंबो कार्यकारिणी की घोषणा की। जिसमें सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल को प्रदेश कांग्रेस महासचिव के रूप में शामिल किया गया है। विधायक ग्रेवाल को यह जिम्मेदारी मिलना लाजमी थी क्योंकि बीते कई वर्षों से सरदारपुर में कांग्रेस की जमीन विधायक प्रताप की वजह से ही बची हुई हैं। वैसे पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और विधायक ग्रेवाल का दोस्ताना वर्षों पुराना है। जब जीतू पटवारी पीसीसी चीफ बने थे तब ही राजनीतिक पंडित यह बता चुके थे कि विधायक ग्रेवाल को कांग्रेस संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती हैं। बेदाग और निर्विवाद आदिवासी चेहरा होने के चलते विधायक ग्रेवाल को मिली इस जिम्मेदारी से भविष्य में कांग्रेस को फायदा मिलता हुआ दिखेगा। हालांकि इन सबके बीच विधायक ग्रेवाल को यह बिल्कुल नही भूलना होगा कि बीते विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार की जीत का अंतर बहुत कम रहा था। भविष्य में यह अंतर और कम ना हो इसलिए विधायक प्रताप को जमीनी पकड़ ओर मजबूत बनानी होगी।
संगठन चुनाव से समर्पित और निष्ठावान भाजपा नेताओं को आस-
विश्व की सबसे बड़ी पार्टी कहलाने वाली भारतीय जनता पार्टी के संगठन चुनाव आने वाले दिनों में होंगे। इस बार भाजपा के उस समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ता को संगठन चुनाव से बड़ी आस है, जिसको कमलनाथ की 16 महीने की सरकार के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के कमबैक के बाद दरी उठाने के अलावा कोई काम नही मिला। यह कहना कपितय गलत नहीं होगा कि भाजपा के समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओ की बीते 5 सालों से हालत बेहद खराब हैं। सरदारपुर विधानसभा में भाजपा में जारी पट्ठावाद और फुट-फजिते नई कार्यकर्तओं को कभी पनपने नहीं देंगे। लेकिन भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओ को अब केवल और केवल संगठन चुनाव से आस है। उन्हें लगता है कि अब भाजपा संगठन में ऐसे कार्यकर्ताओ को जगह मिलेगी जो पठ्ठवाद से ना घिरे हो, धन्ना सेठ ना होकर पार्टी के प्रति समर्पित हो। हालांकि यह कटु सत्य है कि सरदारपुर विधानसभा में जब भी भाजपा संगठन ने किसी नेता को बड़ी जिम्मेदारी से नवाजा है, उसने पार्टी की बजाय केवल अपना हित ही सोचा है। खेर भाजपा अनुशासित पार्टी है, बिना सोचे समझे कुछ नहीं करती है।
सड़को पर दौड़ती “बाल भिक्षावृत्ति” पर कार्रवाई कब ?-
राजगढ़, सरदारपुर समेत तहसील में अनेक स्थानों पर बाल भिक्षावृत्ति पैर पसारती जा रही है। त्यौहारों पर इनकी भरमार ज्यादा देखने को मिल रही है। हाथों में भगवान के चित्र और मूर्तिया लेकर जगह-जगह हाथ फैलाते हुए बाल भिक्षु नजर आते है। शहरों के अंतिम छोर पर डेरो में बसने वाले अधिकांश बालक-बालिकाएं बाल भिक्षु बनकर लोगों के सामने हाथ फैलाते है। यहां तक कि कई माता-खुद अपने बच्चों के साथ निकल पड़ते है। राजगढ़ में सबसे ज्यादा बाल भिक्षु सड़को पर दौड़ते हुए नजर आते हैं। एक और सरकार ‘स्कूल चलो अभियान’ जैसे अभियान चलाकर पढ़ाई का स्तर सुधारने में लगी है तो दूसरी और इन बाल भिक्षुओं की संख्या बढ़ना चिंता जनक है। ऐसे में लोगों को राजगढ़ सहित अंचल में बढ़ती हुई बाल भिक्षावृत्ति पर कार्रवाई का इंतजार है।
राजगढ़ नगर परिषद का एक नेता का बदल सकता है स्टेटस –
नगर परिषद राजगढ़ के एक नेता बहुत जल्दी ही अपना स्टेट्स चेंज करने वाले हैं, क्योंकि लंबे समय से नगर पालिका में उठापटक हो रही है, उसे लग रहा है क्या नेता जी अपना स्टेट्स चेंज कर देंगे? उधर परिषद सूत्रों की माने तो परिषद के अंदर जो खटपट हो रही है उस खटपट की आवाज बाजार में भी सुनाई देने लगी है। अब आप ही बताइए भला खटपट और खटमल के डंग से कौन बचा है।
अपने ही विभाग में अटैच कर ली अपनी गाड़ी –
तहसील क्षेत्र के विभाग में ऐसे कर्मचारी भी है जो अपने वाहनों को अपने ही विभाग के कार्य में अटैच कर देते हैं और अपने ही विभाग से किलोमीटर के नाम पर मोटी राशि निकाल लेते हैं। कुछ ऐसा इमामबाड़ा सरदारपुर के एक विभाग का है जहां अधिकारी अपनी चार पहिया गाड़ी को विभाग में अटैच कर किलोमीटर के नाम पर अपने ही हस्ताक्षर से कई मोटी राशि निकाल रहा है। अधिकारी मोटी राशि निकालकर अभी भी मोटे होते जा रहा है, पर अपने ‘स्वास्थ्य’ का ध्यान नही दे रहा है। अपने स्वास्थ्य पर किस प्रकार से ध्यान देना है यह तो उनका विभाग ही बता सकता है ।