रिंगनोद। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रिंगनोद मंडल का पथ संचलन रविवार को ऐतिहासिक रूप से निकला। सैकड़ो गणवेशधारी स्वयंसेवक घोष वादन के साथ कदमताल करते हुए निकले। पथ संचलन का प्रत्येक गली व मोहल्ले में स्वागत हुआ।
पथ संचलन से पहले रिंगनोद की बडी स्कूल मैदान पर रिंगनोद सहित क्षेत्र के 10 गांवो से स्वयंसेवको का एकत्रीकरण हुआ। यहां ध्वज प्रणाम, एकल गीत, अमृत वचन व सामुहिक गीत के बाद बौद्धिक कार्यक्रम हुआ। मंच पर मुख्य वक्ता के रूप में संघ के प्रांत गौसेवा सह संयोजक कमल शिंदे मौजूद रहे। वही कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त शिक्षक लक्ष्मीनारायण पाटिदार ने की। साथ ही संघ के जिला संघ चालक बाबूलाल हामड़ व खंड कार्यवाह दीवानसिंह मकवाना भी मंचासिन रहें।

मुख्य वक्ता कमल शिंदे ने स्वयंसेवको से संघ की 100 वर्ष की यात्रा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि संघ की स्थापना एक विचार से हुई लेकिन इसकी 100 वर्ष की यात्रा कई चुनौतियों से गुजरी हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार त्याग, तपस्या व समपर्ण की मूर्ति थे तथा राष्ट्र के प्रति उनका अटूट समर्पण था। उन्होंने असंगठित हिंदू समाज को संगठित करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। संघ की शाखा से व्यक्ति का निर्माण होता है। आज प्रत्येक स्वयंसेवक समाज सेवा के कार्य मे लगा हुआ हैं।
मुख्यवक्ता शिंदे ने कहा कि परिवार में संस्कार व राष्ट्रवाद का भाव जगाकर नई पीढ़ी का निर्माण करना है। क्योकि चरित्र निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण होगा तथा संघ के संस्थापक डॉ. हेडगवार द्वारा 100 वर्ष पहले देखे गए स्वप्न को प्रत्येक स्वयंसेवक को आगे बढ़ाना है। उन्होंने सभी स्वयंसेवको से संघ के पंच परिवर्तन कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्त्तव्य तथा स्वदेशी आधारित जीवन शैली को अपने जीवन में अपनाने का आव्हान किया।

ग्रामीणों ने की स्वयंसेवको की आरती-
रिंगनोद में स्वयंसेवको के एकत्रीकरण स्थल पर संघ के पंच परिवर्तन पर आधारित प्रदर्शनी लगाई गई। साथ ही स्वतंत्रता संग्राम में देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों की प्रदर्शनी भी लगाई। वही प्रत्येक गली व मोहल्ले में मातृशक्ति द्वारा सुंदर रंगोली बनाकर व पुष्पवर्षा कर संचलन का स्वागत किया गया। साथ ही गांव में 2 स्थानों पर स्वयंसेवको की आरती भी ग्रामीणों द्वारा की गई।





															
															













