सरदारपुर। खरीफ की फसल मे पीले सोने की पैदावार कम होने से इस बार किसान मायूस नजर आ रहा है। वही बाजार मे सोयाबीन की फसल के दामो में भी तेजी नही है।
इस वर्ष सरकार ने समर्थन मुल्य पर किसानो से 4892 रुपये प्रति क्विटंल के दाम से सोयाबीन खरीदने का निर्णय लिया है। लेकिन सरकारी खरीदी को किसानों का समर्थन नही मिल रहा है।
समर्थन मुल्य पर खरीदी के लिये वैसे ही किसानो ने पंजीयन मे रूची भी नही दिखाई थी। सरदारपुर तहसील में 983 किसानों ने अपनी उपज विक्रय के लिये पंजीयन कराया था। समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी हेतु सरदारपुर तहसील में राजगढ़ एवं लाबरिया दो केंद्र बनाये गये है। जिनकी उपज तुलाई ग्राम सारोटी मे बने गीता श्री वेयर हाउस पर हो रही है। सरकारी खरीदी के नियमो के चलते भी किसान अपनी उपज विक्रय मे कम ही रूचि दिखा रहे है।
सारोटी में बने केंद्र पर आदिम जाती सेवा सहकारी लाबरिया के प्रबधंक गोवर्धन पटेल ने बताया की 25 अक्टूबर से समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी आरंभ की गई थी। जिसमें से अभी तक 5 किसानो से 51 क्विंटल सोयाबीन की उपज खरीदी गई है। वही राजगढ़ केंद्र पर तो अभी तक खरीदी ही आरंभ नही हो पाई है। यहा पर उपज विक्रय के लिये किसानो मे रूचि नही देखी जा रही है।
दरअसल केंद्र पर वैसे तो सोयाबीन ग्रेडिंग करके किसान ला रहे है जिससे गुणवत्ता बेहतर नजर आ रही है। लेकीन पैरामीटर से उपज की नमी भी मापी जा रही हे। यदि सोयाबीन नमी युक्त है तो सुखाने के बाद ही उसकी खरीदी की जा रही है। इधर, समर्थन मूल्य पर किसानों द्वारा फसल नही बेचने का एक मुख्य कारण नगद भुगतान नही होना भी है। मंडी में किसानों को नगद भुगतान हो रहा है। इस वजह से किसान सोयाबीन बेचने के लिए मंडी का रुख कर रहे है।