सरदारपुर। मध्यप्रदेश में वर्ष 2013-14 में शासकीय प्राथमिक माध्यमिक विद्यालय की संख्या 1लाख 14 हजार 972 से घटकर 82 हजार 128 हुई वहीं शिक्षक की संख्या 2 लाख 91 हजार 992 से घटकर 2 लाख 30 हजार 817 रह गई है। इस अवधि में विद्यालयों की संख्या में 32 हजार 844 तथा शिक्षक की संख्या में 61 हजार 175 की कमी आई है। यह जानकारी स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल के प्रश्न के जवाब में दी।
मंत्री उदय प्रताप सिंह ने जवाब देते हुए बताया कि वर्ष 2025-26 में 21 हजार 193 मिडील विद्यालयों में 20 से कम तथा 29 हजार 486 में 40 से कम बच्चे पढ़ रहे हैं तथा 8 हजार 533 स्कूलों में एक-एक शिक्षक तथा 28 हजार 716 विद्यालयों में दो-दो शिक्षक है।
मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बताया कि वर्ष 2010-11 में स्कूल शिक्षा विभाग का बजट 6374.25 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2025-26 में 36581.64 करोड़ हो गया है। वर्ष 2010-11 में शासकीय विद्यालयों में कक्षा 1 से 12 वी तक के विद्यार्थियों की संख्या 133.66 लाख से घटकर वर्ष 2025-26 में 79.39 लाख रह गई है। बच्चों की संख्या में 54.27 लाख की कमी आई है। विद्यालयों एवं शिक्षकों की संख्या में कमी हुई है, मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि सातवां वेतनमान तथा महंगाई भत्ता बजट में वृद्धि हुई है। शालाओ के मर्ज होने तथा शिक्षकों की सेवानिवृत्ति से संख्याओं में कमी हुई है। कक्षा में बच्चों की संख्या में कमी के कारण पर मंत्री जी ने कोई उत्तर नहीं दिया।
सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल ने बताया कि वर्ष 2014-15 में जहां 82 लाख विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्ति दी गई थी, वही वर्ष 2025-26 में मात्र 58 लाख बच्चों को छात्रवृत्ति दी गई है, तथा वर्ष 2013-14 में 93.7 लाख बच्चों को निशुल्क पाठ्य पुस्तक एवं निशुल्क गणवेश दिया गया था वही 2025-26 में यह संख्या घटकर 56.82 लाख ही रह गई। इसी प्रकार मध्यान्ह भोजन की संख्या 75.75 लाख से घटकर 37.23 लाख तथा निःशुल्क साइकिल की संख्या 3.29 लाख से घटकर 1.63 लाख रह गई। प्रताप ग्रेवाल ने प्रश्न किया कि स्कूल भी घट गए, शिक्षक भी घट गए, छात्र भी घट गए, निशुल्क पाठ्य पुस्तक, गणवेश, मध्यान्ह भोजन और साइकिल के हितग्राही भी घट गए, छात्रवृत्ति वाले विद्यार्थी भी घट गए, उसके बाद बजट लगभग 5 गुना कैसे बढ गया।
विधायक प्रताप ग्रेवाल ने प्रश्न किया कि जब 10 साल में 70 हजार के लगभग शिक्षक कम हो गए तो आपने शिक्षित बेरोजगार युवाओं को नौकरी पर क्यों नहीं रखा। जनसंख्या 2.4 प्रतिशत की दर से प्रतिवर्ष बढ़ रही है, शिक्षा का 10 प्रतिशत बढ़ गया, और सरकार शासकीय स्कूलों को बंद करके निजी स्कूलों को लूट के लिए संरक्षण दे रही हैं। सरकार शिक्षा माफिया के हाथ का खिलौना हो गई है। प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार का चरागाह बन गया, प्रतिवर्ष हजारों करोड़ का घोटाला हो रहा हैं। जिसकी सीबीआई से जांच होना चाहिए।
विधायक प्रताप ग्रेवाल ने दिसंबर 2025 के विधानसभा सत्र मे भी शून्यकाल एवं ध्यानाकर्षण के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि सरकार शिक्षा के प्रति बहुत जागरुक है और बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित नहीं है क्योंकि देखा जा रहा है कई जगह पर स्कूल भवन काफी जर्जर स्थिति में है जिसके कारण छोटे-छोटे मासूम बच्चों को दुर्घटना होने से मृत्यु का सामना करना पड़ रहा है। विधानसभा क्षेत्र सरदारपुर सहित प्रदेश में कई ऐसे भवन है जो बारिश के समय में टपकते हैं और जर्जर स्थिति में हैं। सभी स्कूलो का निरीक्षण करवाते हुए उन भवनों की स्थिति ठीक करने की आवश्यकता है, जिससे बच्चों के साथ कोई गंभीर दुर्घटना ना हो। अधिकतर स्कूल में आदिवासी बच्चे पढ़ते है। एक जीता जागता उदाहरण मेरी विधानसभा के ग्राम झाई, बोरदीकला, गोंदीरेला, रूपारेल, बोरवानी, होलातलाई, तलावपाडा, बांडीखाली, रेतीखोदरा, बगासा, पिपलियाभान ऐसे 40 स्कूल है जो काफी जर्जर हालत में है जहा कभी भी कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है। उक्त जानकारी विधायक निज सचिव प्रेमनारायण मण्डलोई द्वारा दी गई।।















