राजगढ़। महापर्व पर्यूषण के आठवे एवं अंतिम दिन नगर के राजेंद्र भवन में भाषा सूत्र का वाचन परम पूज्य गच्छाधिपती हितेशचंद सुरिश्वरजी महाराज साहब के आज्ञानुवर्ती मुनी पुष्पेंद्रविजयजी महाराज साहब,मुनी रूपेंद्रविजयजी महाराज साहब एवं मुनि जीतचंद्रविजयजी महाराज साहब के पावन सानिध्य में संपन्न हुआ। पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन अनेक श्रावक श्राविकाओ ने तप के साथ पौषध भी लिया तथा समाज के कुछ श्रावकों ने पूरे 8 दिन पोषध लेकर पूरा साधु जीवन बिताया।
राजेंद्र भवन में चातुर्मास हेतु विराजित तीनों साधु भगवंत को सकल जैन श्री संघ राजगढ़ की ओर से मोहनखेड़ा ट्रस्टी सुजानमाल सेठ, कमल लुनिया, मेघराज जैन, अशोक भंडारी, संदीप खजांची, प्रीतेश सराफ, राकेश राजावत, प्रदीप रायली,आजाद भंडारी, सेवंतीलाल मोदी, छोटेलालमामा, कांतिलाल सराफ, सचिन सराफ,बसंतीलालजी मेहता ,संजयजी जैन ,राजेंद्रजी खजांची, निलेश सराफ, दीपक जैन, धर्मेंद्र भंडारी, संदीप सराफ, राजेंद्र भंडारी, कमलेश चत्तर, सुरेश मालवी, प्रवीण खिमेसरा आदि समाज जनों ने अभिनंदन पत्र देकर आशीर्वाद लिया।
परम पूज्य मुनि पुष्पेंद्रविजयजी महाराज साहब को राष्ट्रसंत की उपाधि से, मुनी रूपेंद्रविजयजी महाराज साहब को मालवा रतन की उपाधि से एवं मुनि जीतचंद्रविजयजी महाराज साहब को मालवाभूषण पद से अलंकृत किया। महापर्व के अंतिम दिन शाम को श्रावक -श्राविकाओ का प्रतिक्रमण हुआ जिसमें सभी समाजजनों ने गत वर्ष जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिये एक दूसरे से क्षमा याचना की एवं मिच्छामी दुक्कड़म बोला।
प्रतिक्रमण में सकल श्रीसघं को सबसे पहले मिच्छामी दुक्कड़म बोलने की बोली का लाभ दिलीपकुमार बसंतीलाल बाफना परिवार राजगढ़ वाले ने लिया। प्रतिक्रमण के पश्चात सकल श्री संघ को श्रीफल की प्रभावना वितरित की गई।