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रिंगनोद – शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना का आयोजन हुआ संपन्न, धूम-धाम से निकला आराधको का चल समारोह

रिंगनोद। चातुर्मास के दौरान रिंगनोद नगर में श्रद्धा, भक्ति और आत्म-साधना का अनुपम संगम देखने को मिला। पवित्र शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना का आयोजन इमलीवाला परिवार, रिंगनोद द्वारा अत्यंत श्रद्धा, अनुशासन और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। यह आराधना परम पूज्य पुण्य सम्राट श्रीमद विजय जयंतसेन सूरिजी म. सा. के दिव्याशीष तथा पूज्य साध्वी श्री तारणरत्ना श्रीजी म.सा. एवं साध्वी श्री साध्यरत्ना श्रीजी म.सा. की पावन निश्रा में संपन्न हुई।

आराधना का शुभारंभ नवपद ओलीजी से एक दिन पूर्व आराधको की सामूहिक धारना से हुआ, जबकि नौ दिनों की गहन साधना एवं आयंबिल तप के पश्चात आराधको के पारणा के साथ आराधना का मंगल समापन हुआ। इस दौरान लगभग 50 से अधिक आराधको ने लगातार नौ दिन तक प्रतिदिन उत्साह के साथ आयंबिल कर तप और संयम की भावना का परिचय दिया।

समापन अवसर पर नगर में भगवान की प्रतिमा को पालकीमें विराजित कर चैत्य परिपाटी साथ में नवपद ओली आराधको का चल समारोह धूम-धाम से निकला। जिसमें समाजजन उत्साहपूर्वक शामिल हुए, नगर के समाजजनो ने भगवान की प्रतिमा के समक्ष गहुली कर भगवान को बधाया। चाँद भवन पर शोभायात्रा का समापन हुआ, जिसके पश्चात साध्वी श्री तारणरत्ना श्रीजी महाराज साहेब के मंगल प्रवचन हुए। अपने प्रवचन में कहा की अहिंसा, संयम एंव तप ही मोक्ष मार्ग के साधन हैं जिसमें उन्होंने आयंबिल कर नवपदजी की महिमा बताते हुए कहा की इस आराधना को करने वाले और कराने वाले दोनो ही बड़े पुण्यशाली होते है इसकी आराधना से जो भाग्य में नहीं होती ऐसी दुर्लभ वस्तुओ की भी प्राप्ति हो जाती है साथ ही उन्होंने यह भी कहा की ऐसे आयोजन से संघ और समाज में आनंद का वातावरण फैलता है, आदि – व्याधि सब दूर हो जाती है।

इमलीवाला परिवार ने ऐसा आयोजन कर पुण्य कमाने के साथ समरसता की एक नई मिसाल रखी है। संचालन चिराग भंसाली द्वारा किया गया। स्वागत गीत सोनम जैन एव शैली जैन ने गाया। स्वागत भाषण रॉबिन इमलीवाला द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में आशीष पंवार, सागरमल कोठारी, कविता जैन व अन्य ने अपने विचार व्यक्त किए। अंत में निखिल इमलीवाला ने सभी तपस्वियों की अनुमोदना करते हुए सकल जैन श्रीसंघ और सहयोगियों का हृदय से आभार व्यक्त किया। पश्चात तपस्वियों के बहुमान साथ पारने एवम श्री संघ की नवकारसी इमलीवाला परिवार द्वारा रखी गई। यह आराधना न केवल एक धार्मिक आयोजन रही, बल्कि पूरे रिंगनोद नगर में आत्म-शुद्धि, तप और भक्ति का प्रेरणादायी संदेश प्रसारित कर गई।

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