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रिंगनोद – सांसारिक जीवन त्याग कर 10 वर्षों बाद प्रथम बार ग्रह ग्राम पहुंचने पर साध्वीयों का समाज जनों ने किया भव्य स्वागत

रिंगनोद। विनम्रता सहजता सहनशीलता एवं उससे भी ऊपर मौन रहना संसार में जीवन को सार्थक करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है मनुष्य जन्म के माध्यम से ही हम सिद्धशिला पर पहुंच सकते हैं मनुष्य जन्म दुर्लभ है। इसे व्यर्थ में न गवाए। लेकिन हमे परमात्मा की असीम कृपा से कई जन्मो के बाद यह मानव जीवन और यह देह प्राप्त हुई है इसके कारण हमें सुख में डूबना नहीं और दुख में दुखी नहीं होना है।

हम जितने दुख का बखान करेंगे उतने ज्यादा दुखी होंगे जब तक यह शरीर स्वस्थ है हमें धर्म आराधना कर दिन नहीं दिनानाथ बनने की और अग्रसर होना होगा और उसका सबसे सरल मार्ग हमें नमस्कार महामंत्र की आराधना से मिलता है। उक्त प्रेरक उद्बोधन साध्वी श्री प्रवॄध्दी श्री जी महाराज साहब ने जैन धर्मशाला में उपस्थित समाज जनो को देते हुए कहां की अपने कर्म ही आत्मा के साथ जुड़ते हैं व्यक्ति जैसा कर्म करता है। वैसा ही भोक्ता है परमात्मा प्रभु भगवान महावीर ने जो रास्ता बताया है। वही मोक्ष का मार्ग है।

जिसके माध्यम से ही हम सम्यक दर्शन ज्ञान को पुष्ट कर सकते हैं इससे पूर्व मंगलवार को प्रात: राजगढ़ से विहार कर अमित अनंत शिशु साध्वी श्री शुद्धी प्रसन्ना श्री जी म• सा• साध्वी श्री प्रवृध्दि श्री जी म• सा• एवं साध्वी श्री समृद्धि श्री जी म• सा• का मंगल प्रवेश हुआ। राजगढ़ रोड पर समाजजनो द्वारा भव्य अगवानी की गई। वहां से ढोल ढमाका के साथ नगर भ्रमण कर श्री चंदा प्रभु जैन मंदिर में दर्शन वंदन कर श्रीचांद आराधना पहुंचे जहां धर्मसभा की गई। तीनों ही रिंगनोद के फूलफगार केमिस्ट परिवार के ही सांसारिक सदस्य रहे हैं। दीक्षा के 10 वर्ष पश्चात अपने गृह नगर में पधारे हैं इस कारण नगर के समाज जनों में भी काफी उत्साह है ।

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