अंचल में हल्की शीत लहर के आगमन के साथ ही रात का पारा लुढ़कने लगा है, जिससे ठंड का दौर शुरू हो गया है। लेकिन राजनैतिक पारा चढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है, जिससे राजनीतिक तपन बढ़ी हैं। इस बार “चिट्ठी सरदारपुर की” बढे हुए राजनीति पारे की खोज खबर के साथ कई राज खोलने वाली है। कोई दिल पर मत लेना.. सभी को राम-राम..
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कांग्रेस में बिखराव खत्म करने के लिए कितनी सफल होगी नई रणनीति –
प्रदेश से लेकर जिले तक ओर जिले से लेकर विधानसभा तक कांग्रेस पार्टी में जो बिखराव देखने को इन दिनों मिल रहा है उसको लेकर कांग्रेस संगठन चिंतित हैं। इसके लिए आने वाले दिनों में कांग्रेस पंचायत एवं वार्ड स्तर तक कि कमेटी गठित करने की प्लानिंग कर चुकी हैं। लेकिन यह रणनीति कितनी सफल होगी इसको लेकर कुछ कहां नहीं जा सकता हैं। बात करें सरदारपुर विधानसभा की तो यहाँ भले ही कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में सीट निकाल ली थी। लेकिन उसमें भी कई तरह का अंदरूनी बिखराव देखने को मिला था। और यह बिखराव अब भी बना हुआ है। सरदारपुर विधानसभा में बिखरी हुई कांग्रेस को समय रहते एक नहीं किया गया तो यह आने वाले समय में बड़ी चिंता बनेगी।
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‘एक अनार सौ बीमार’ और BJP में संगठन चुनाव –
भाजपा में इन दिनों संगठन चुनाव की सरगर्मियां अपनी चरम सीमा पर है। हर कोई अपनी जमघट जमाने में लगा हुआ है। भाजपा में मंडल अध्यक्ष का ओहदा बड़ा होने के कारण हर किसी को मंडल अध्यक्ष बनने की मंशा हैं। सरदारपुर विधानसभा में इन दिनों मंडल अध्यक्ष की दावेदारी को लेकर ‘एक अनार सौ बीमार’ वाली कहावत चरितार्थ होती हुई नजर आ रही है। दावेदार अपने आकाओं से लेकर बड़े नेताओं तक पैर पढ़ने में लगें हुए हैं। कइयों ने तो खुली आंखों से मंडल अध्यक्ष के सपने भी देख लिए हैं। चुनावो में प्रत्याशियों के जेब का पेट्रोल अपनी गाड़ियों में भरवाकर घूमने वाले भी खुद को पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता बताकर मंडल अध्यक्ष बनने की जुगत में लगे हैं। खेर जो भी हों भाजपा संगठन धीर-गंभीर हैं, जो बिना सोचे समझे कोई निर्णय नहीं लेता है। लेकिन इन दिनों कई भाजपाई मंडल अध्यक्ष बनने के लिए जो तरीके अपना रहें है वो काफी हास्यपद भी हैं।
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सड़को पर घूमती गौमाता और नगर परिषदों की नाकामी ?
जब प्रदेश की कमान डॉ. मोहन ने संभाली थी तब उन्होंने सड़को पर घूमती गौमाता की चिंता करते हुए विशेष कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिसके बाद सरदारपुर ओर राजगढ़ में नगर परिषद ने सड़को पर घूमती गौमाता को पकड़ने को लेकर अभियान भी चलाया था। नगर परिषदों का यह अभियान मात्र दिखावा ही रह गया। अब भी राजगढ़ और सरदारपुर में सड़कों पर घूमता गौवंश नगर परिषदों का मुंह चिड़ा रहा है। परिषदों का अभियान गौवंश के मालिकों पर कोई असर नहीं कर सका। क्या इसको नगर परिषदो की नाकामी कहना उचित होगा? पर शर्म तो उन गौवंश के मालिकों को भी आना चाहिए जो अपने गौवंश को शहर में आवारा ही लोगों के डंडे खाने के लिए छोड़ देते हैं..!
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भैया बनेंगे जिलाध्यक्ष…
इन दिनों सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र के एक भैया को भाजपा जिलाध्यक्ष बनने के सपने आ रहें है। भैया के पट्ठे ढंग से माहौल भी बनाने में लगे हुए हैं। पठ्ठो का कहना है कि भैया का फला-फला से अच्छे संबध है तो इस बार तो जिलाध्यक्ष अपने भैया ही बनने वाले हैं। लेकिन जिनके दम पर भैया और उनके पठ्ठे उछल रहें हैं, उनकी राजनीति के भी कोई ठिकाणे नही हैं।
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इंसेंटिव में भी जारी वसूली..!
सरदारपुर तहसील क्षेत्र में एक विभाग में इंसेंटिव में भी वसूली जारी हैं। इस विभाग का एक अधिकारी अपने सहकर्मियों से इंसेंटिव में वसूली करने में जुटा हैं। जिनसे वसूली हो रही है वो खुलकर शिकायत नहीं कर पा रहें है। बताया जा रहा है कि जिले के अधिकारियों के नाम से इंसेंटिव में हुई वसूली की शिकायत जिले तक भी पहुंच चुकी हैं। हालांकि यह अधिकारी अपने “स्वास्थ्य” पर ध्यान नहीं दे रहा हैं।