

सरदारपुर। अगर हिम्मत के साथ इच्छाशक्ति मजबूत हो तो व्यक्ति हर मुसीबत पर जीत हासिल कर लेता है। इसी तरह राजोद के वरिष्ठ पत्रकार नंदराम नायमा ने महज 9 दिन में कोरोना से जंग जीत ली। दरसल श्री नायमा ने शुरूआत में शारीरिक थकान व बुखार के चलते राजोद के मेडिकल ऑफिसर डॉ.ओपी परमार को बताया था। जिस पर डॉ. परमार ने सीटी स्केन कराने की सलाह दी। जिस पर बड़नगर के निजी अस्पताल पहुँचे तथा सीटी स्केन करवाया गया। सीटी स्केन के मोबाईल विडियो के आधार (तत्काल रिर्पोट नही दी रिर्पोट एक दिन बाद आई) मोबाईल वीडियो के आधार पर 60 प्रतिशत लंग्स इंफेक्शन होना पाया गया। वही पोते मयंक (चिंटु )नायमा का भी सीटी स्केन करवाया गया। जिसे 15 प्रतिशत इंफेक्शन पाया गया था। पर सिटी स्केंन कराने के बाद वहा के निजी डॉक्टर की सलाह पर दोनो को एडमिट होने को कहा, बड़नगर के अस्पताल में जगह नही होने से रात्रि मे ही सीधे बदनावर आए वहा के कोविड सेंटर गए। वहा पर जगह नही होने से बदनावर के व मीडिल स्कुल पर पहुचे वहा डॉ. श्रीवास्तव से भर्ती को लेकर चर्चा की गई। जिस पर डॉ. श्रीवास्तव ने जगह की कमी होने भर्ती नही किया। उसके बाद रात्रि मे डॉ. परमार से इस संबध मे चर्चा की डॉ. परमार के पुत्र डॉ. मधुसदन परमार ने सरदारपुर जाने की सलाह दी। इस दोरान रात्रि मे ही पुत्र अशोक नायमा ने राजगढ़ के पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष नवीन बानिया से मोबाईल पर भर्ती करने को लेकर बातचीत की। जिस पर बानिया रात्रि मे ही मोहनखेडा नेत्र चिकित्सालय हास्पिटल मे दो बेड खाली होने की बात वहा कही। तुरंत रात मे ही करीब 1बजे के करीब मोहनखेडा पहुँचे। जहां डॉ. सैयद ने रिर्पोट के आधार पर दोनो को भर्ती कर ईलाज प्रांरभ किया। इस दोरान राजगढ़-सरदारपुर के पत्रकारो का सहयोग रहा। इस दौरान कुछ दवाई की आवश्यकता लगी तो युवा पत्रकार रमेश प्रजापति जो स्वंय बिमार थे, ने मोबाईल पर चर्चा की तथा अपने मित्र रक्तमित्र सोहन पटेल की सहायता से दवाई सहज रूप से राजगढ़ से उपलब्ध कराई। वही मोहनखेडा चिकीत्सालय के अन्य डॉक्टर व स्टाफ ने चाहे दिन हो या रात हो समय समय पर चेकअप कर परेशानी जानी कर होसला बढ़ाया तथा शुभचिंतको ने मोबाईल पर चर्चा कर हौसला बढाया।
लगातार जारी रखा योग –
जब पत्रकार श्री नायमा को कोरोना हुआ तब उनके अजीज मित्र तहसील के वरिष्ठ पत्रकार मुस्लिम शेख का कोरोना से निधन हो गया। जिससे वे पूरी तरह टूर गए लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नही हारी। डॉक्टरों के इलाज के साथ ही श्री नायमा ने योगासन जारी रखा। श्री नायमा ने बताया कि कोरोना के उपचार के दौरान मेने सुबह के समय अनुलोम-विलोम तथा कापालभाती रोजाना नियमित की। साथ ही अपने पोते मयंक को भी योग करवाया। आचार्य श्री ऋषभचंद्रसुरिश्वर जी मसा द्वारा कोराना काल मे मानवहित को देखते हुए मोहनखेडा मे कोविड सेंटर खोलकर बहुत सराहनिय कार्य किया गया। मैं हर रोज खुद को हिम्मत देता तथा अपने पोते मयंक को भी हिम्मत देता रहा। 29 अप्रैल की रात्रि 12 बजे हम मोहनखेड़ा के श्री राजेन्द्र सूरी नेत्रालय अस्पताल में भर्री हुए तथा कोरोना से जंग जीतकर 6 मई को घर लौटे आए। हर परिस्थिति में अपनी हिम्मत बनाए रखनी चाहिए, मजबूत इच्छाशक्ति से हम हर परिस्थिति पर विजय हासिल कर सकते है।