आचार्य ऋषभचंद्र सुरीश्वर गुरुदेव के वियोग में गुरूभक्तों का रूदन-क्रंदन सुनकर जर्रा- जर्रा रोया होगा…. क्या जैन क्या अजैन सबके दिलों में बसे थे ऋषभ बाबजी युगों-युगों तक अमर रहेगे…
राजेश शर्मा वरिष्ठ पत्रकार, लेखक @थिंकर्स
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सुप्त पड़ती कोरोना की चाल लाखों गुरु भक्तों पर इतनी भारी, अकल्पनीय और असहनीय होगी इसकी कल्पना किसी ने भी नही की थी… सेकंड वेव का रौद्र रूप कहे या विधाता का विधान… गुरुदेव का विछोह गुरूभक्तों से सहा नही जा रहा… मोहनखेडा तीर्थ ही नही वे जन -जन के रोम-रोम में बसे थे… किसी के बाबजी तो किसी की प्रेरणा थे वे…रूदन और क्रंदन से भरे गुरूभक्तों की डबडबाती आंखे मानो कह रही है हम अनाथ हो गए ….. जिनके सानिध्य में… जिनके सामिप्य में.. जिनके दर्शन मात्र से निहाल हो जाते थे गुरूभक्त उनके लिए गुरूवार का दिन कभी न भूलने वाला दिन सिद्ध हो गया…. नम है आंखे… मंद है स्वर… ऐसा लग रहा है मानो आचार्य ऋषभचंद्र सुरीश्वर गुरुदेव के वियोग में गुरूभक्तों का रूदन-क्रंदन सुनकर जर्रा- जर्रा भी रोया होगा…. धन्य है माटी.. धन्य है धरा… धन्य है माँ जिसने आचार्य ऋषभचंद्र सुरीश्वर जी जैसे – मुनि, तपस्वी और मानव सेवा को समर्पित संत को जन्मा….
“नर सेवा ही नारायण सेवा है” इस मंत्र को जीवन का सूत्र वाक्य मानकर क्या जैन क्या अजैन सभी के जख्मों पर संवेदना का लेप लगाते थे ऋषभ बाबजी… मानव सेवा, जीवों के प्रति दया में विशेष अग्रणी थे…. श्री मोहनखेडा़ तीर्थ में विशाल गौशाला, चिकित्सालय, राजगढ़ में मानव सेवा चिकित्सालय, गुरु राजेन्द्र जैन इंटरनेशनल स्कूल, क्षेत्र में आर्थिक विकास और जरूरतमंदो के लिए बैंक की स्थापना सामाजिक सेवा और संवेदन मन को दर्शाते हैं….ऐसे मानव सेवा को समर्पित महामना का वियोग भक्तों के लिए किसी त्रासदी से कम नही है.. मुनि व आचार्य के रूप में अनेक दीक्षा… तीर्थंकरों, गुरु मंदिरों की प्रतिष्ठा, तीर्थ निर्माण, श्री मोहनखेडा़ तीर्थ के विकास में अतुलनीय योगदान आपको युगों-युगों तक अमरता प्रदान करेगे…. अनेक पुस्तकों का लेखन और संपादन से आपनी अपनी रचनाधर्मिता हमेशा समाज के समक्ष रखी… जो आज धरोहर के रूप में है…
आचार्य ऋषभचंद्र सुरीश्वर जी की पहचान एक श्रेष्ठ धर्माचार्य के साथ कुशल संगठक, अच्छे लेखक, उपदेशक व प्रख्यात ज्योतिष के रुप में रही… कई मौकों पर आपके द्वारा की गई भविष्यवाणी देश- दुनिया में चर्चित रही.. उज्जैन सिंहस्थ से लेकर जून माह में कोरोना के कमजोर पड़ने की भविष्यवाणी… आज ज्योतिष का प्रखर संत, विद्वान भविष्यवाणी करते- करते सबके लिए एक अबूझ पहेली बन गए…काश…एक बार तो बता देते….. जता देते गुरूदेव…
सैकड़ो नेत्र एवं चिकित्सा शिविर, दिव्यांगों के लिए शिविर, उनके लिए उपकरण, अपाहिजों को ट्रायसिकल वितरित कर वे नर में ही नारायण के दर्शन करते थे… महिलाओं को जन्मदिन पर सैकड़ों सिलाई मशीने , गरीबों को अनाज वितरित करने जैसे प्रकल्पों से मोहनखेडा़ तीर्थ आधुनिक सेवा का महातीर्थ बन गया है….. कटे- फटे होठों के निःशुल्क आपरेशन करवा कर कई होठों को मुस्कान दिलाई… महज 3-4 दिनों में मोहनखेडा़ तीर्थ में धार जिले का सबसे बड़ा कोविड सेंटर बनाकर वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ने में सेवा रूपी आहुति देकर तीर्थ की महिमा को देश और प्रदेश तक पहुंचाया…. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का भारत युगों-युगों से संस्कार, सेवा और समर्पण की गाथा गा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण, महावीर स्वामीजी और गौतम बुद्ध का गौरव गान गाता यह देश सदियों से संवेदना और उदारता का संदेश देता रहा है। “जीयो और जीने दो” का संदेश मानो हमारे सामाजिक ताने-बाने की “प्राण वायु” हो।
सूफी-संतो, ऋषि-मुनि, तपस्वियों के भारत देश का रोम-रोम, कण-कण और जर्रा-जर्रा त्याग, तपस्या से भरा पड़ा है… इसी संत परंपरा को आगे बढा रहे थे ऋषभ बाबजी… वंदन है ये सेवा रूपी हाथ…. अभिनंदन है माटी के सपूत का, नमन है ऐसे संत और मुनिश्री.. विपत्ति के दौर में समाज को मुस्काने का अवसर प्रदान करने वाले ही तो मसीहा कहलाते हैं…. शिर्डी के सांई बाबा, त्याग और सेवा की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा से लेकर अनेक युग पुरूषों, महापुरुषों की यह पवित्र भारत भूमि ने हमेशा से ही त्याग और सेवा को वंदन किया हैं…. धन्य है माटी.. धन्य है धरा… धन्य है माँ जिसने आचार्य ऋषभचंद्र सुरीश्वर जी जैसे – मुनि , तपस्वी और मानव सेवा को समर्पित संत को जन्मा…क्या जैन क्या अजैन सबके दिलों में बसे थे ऋषभ बाबजी युगों-युगों तक अमर रहेगे….. कोटिशः नमन गुरूदेव श्रद्धावनत… राजेश शर्मा…
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक @ चिंतक
लेखक राजेश शर्मा का परिचय
वर्तमान में संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस से जंग लड रहा है। जंग में मानवता के कई ऐसे प्रहरी है जो जंग से मानव जाति को उबारने के लिए प्रण और प्राण से जुटे है। इस समसामयिक एवं विश्वव्यापी ज्वलंत समस्या पर तीक्ष्ण दृष्टि डालता आलेख मप्र की राजा भोज की ऐतिहासिक नगरी धार के वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, विचारक राजेश शर्मा ने लिखा है। लेखक राजेश शर्मा की ख्याति राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार मप्र शासन होकर लेखक, विचारक एवं प्रशासनिक परीक्षा के एक्सपर्ट के रूप में है। आपके मार्गदर्शन में कई युवा प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत है। आपने पीएससी परीक्षा एवं पत्रकारिता पर कई पुस्तकों की रचना की है। आप प्रदेश शासन की इंदौर संभाग स्तरीय पत्रकार अधिमान्यता समिति के सदस्य रहे है साथ ही पत्रकारिता की सर्वोच्च डिग्री एमजे में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से टाॅपर रहे है।