

सरदारपुर। राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद द्वारा सरदारपुर अनुविभागीय अधिकारी को महामहिम राष्ट्रपति राजभवन नई दिल्ली के नाम से सौंपा ज्ञापन मे बताया कि आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति के रूप में पहचान प्राप्त हैं और इसी पहचान के आधार पर तमाम प्रकार के सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक, राजनीतिक संस्कृति, विरासीत एवं विभिन्न अनुच्छेदों और अनुसूचियों में अधिकार प्राप्त हैं तथा 1947 को मिली आजादी और 1950 में मिले अधिकारों के बावजूद विकास के नाम पर औद्योगीकरण के माध्यम से बड़े-बड़े बांध बनाकर प्राकृतिक संसाधनों का उत्खनन कर के आदिवासियों को उनके जल जंगल और जमीन से विस्थापित किया जा रहा है। उनका पूर्ण आवास का कोई ईमानदार प्रयास नहीं हुआ है जबकि संविधान में अनुच्छेद 244 के तहत अनुसूची पांचवी और छठी के उल्लेख है कि इन क्षेत्रों में केंद्रीय व राज्य को दखल देने का अधिकार नहीं है जब कि इन क्षेत्रों में लगातार केंद्रीय और राज्यों की सरकारों ने कानून बनाकर अनुसूची पांचवी छठी का घोर उल्लंघन कर राष्ट्रपति के सामने प्रस्तुत किया गया और गैर कानून को स्वीकार किया गया इसलिए देश भर के लाखों जनजाति के सामाजिक संगठनों में आक्रोश होने से उन्हें आंदोलन करना पड़ रहा रहा है। सभी संगठनों ने अपनी बुनियादी और मांगों को एकत्रित कर महामहिम राष्ट्रपति का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह कदम उठाया है। संगठनों निम्न सूत्री मांगे मांगेंगी जा रही है यदि मांगे पूरी नहीं होने पर सामाजिक संगठनों द्वारा आंदोलन किया जाएगा। इस दौरान राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद जिला अध्यक्ष बालूसिंह बारिया, प्रदेश महासचिव सुनील अजनार, जय आदिवासी युवा शक्ति अध्यक्ष अखिलेश डावर, एडवोकेट अनिल नार्वे, भारत खराड़ी, सुनील डावर, दिलीप डिंडोर, विजय भाबर, विकास गणावा, राधेश्याम गणावा, सूरज मचार, ईश्वर डामर, बबलू चौहान, बहादुर डामोर आदि सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित थे।