

दसाई। जीवन में हमारा कुछ नही हैं खाली हाथ आये और खाली हाथ जाना हैं फिर हम क्यो अपना-अपना करते हैं वही जब तक जीन वाणी का सुमिरण मन लगाकर नही करेगे, परमात्मा को पाना मुश्किल सा हैं। मन लगाकर धर्म आराधना करने से परमात्मा के दर्शन अपने आप हो जाते हैं। उक्त विचार बुधवार को राजेन्द्रसूरि ज्ञान मन्दिर में आचार्य विश्वरत्नसागरजी ने धर्मसभा में कहे। जिस व्यक्ति ने अहंकार का त्याग कर पाप करना बंद कर दिया उस दिन मन्दिर जाना सार्थक होगा। आज व्यक्ति पाप करता जा रहा हैं लेकिन धर्म के मार्ग पर नही चल रहा हैं। आज धर्म के मार्ग से ही आत्मा ही शुद्धि होती हैं । प्रातःनीम चौक से भव्य मंगल प्रवेश मुनि किर्तीरत्न सागर म.सा, तिर्थरत्न सागर म.सा, उदयरत्न सागर म.सा, उत्तमरत्न सागर म.सा, गभींरत्न सागर म.सा, उज्जवलरत्न सागर म.सा, रम्यरत्न सागर, लब्धिरत्नसागर म.सा के साथ हुआ। रास्तेभर समाजजनो ने अक्षत की गवली की। कार्यक्रम का संचालन राकेश नाहर ने किया। स्वागत गीत युक्ता मण्डलेचा ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मण्डलेचा परिवार द्वारा प्रभावना का वितरण किया।