राजोद। वैश्विक महामारी ने जहां एक ओर पूरा देश भय और बीमारी से जूझ रहा है, अधिकांश चिकित्सकों ने मरीजों से सीधे सीधे मिलना बंद कर दिया है, कोरोना को छोड़ अन्य बीमारियों के इलाज के लिए भी लोगों को दर दर भटकना पड़ रहा है, शहरों में तो मरीज को ऑनलाइन परीक्षण के लिए भी घंटों इंतजार करना पड़ रहा है ऐसे में धार जिले के छोटे से कस्बे राजोद में डॉ मधुसूदन परमार 14 से 16 घंटे बीमार दुखियों को बिना भेदभाव के अपनी सेवाएं दे रहे हैं, भयाक्रांत ग्रामीण मरीजों का आत्मविश्वास बनाये रखने में जुटे हुए हैं। डॉ मधुसूदन परमार निशक्त व आपात स्थिति में घर घर जा कर भी अपनी सेवा दे रहे हैं। गत वर्ष 2020 में भी फूल लॉकडाउन के दौरान जब चिकित्सक अपनी जान बचाने घरों में दुबके बैठे थे तब भी मधुसूदन अपनी जान की परवाह किये बगैर मरीजों की सेवा में लगे रहे ओर सैकड़ों मरीजों को जीवन दान दिया है। अपने पिता डॉ ओपी परमार जो कि स्वयं भी चिकित्सक है को कोरोना से गम्भीर पीड़ित होने पर जिला चिकित्सालय धार एवं मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करवा सेवा ही परमोधर्म के सिद्धांतों पर चलते हुए पुनः अपने सेवा कार्य में जुट गए जो निरन्तर जारी है। शहरों में जहां कोविड मरीज लाखों रुपये लगा कर भी संतुष्ट नहीं हुए वहीं सहज सरल मृदुभाषी डॉ. मधुसूदन परमार ने अब तक कई कोरोना पॉजिटिव मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। घर से सम्पन्न डॉ मधुसूदन चाहते तो अपने जीवन को खतरे में नहीं डालते हुए सुरक्षित रूप से अपने घर में आराम करते ओर कोरोना काल को निकलजाने का इंतजार करते किंतु इन्होंने ऐसा नहीं करते हुए अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते सेवा को ही संकल्प बना लिया है ओर दिन रात, जीजान से मानव सेवा में लगे हुए हैं।
राजोद – कोरोना काल में दिनरात मरीजों की देखभाल में लगे हैं डॉ. मधुसूदन परमार
RELATED ARTICLES