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यूनिक उत्सव में 100 से अधिक प्रतिभाओं का हुआ सम्मान…


राजगढ़। नगर की शेक्षणीक संस्थान यूनिक कोचिंग क्लासेस के द्वारा दिनांक 11 फरवरी को पुरूस्कार वितरण समारोह एवं गुरूमीत नाईट का आयोजन किया गया । लगातार 7 घण्टे तक चला यह भव्य आयोजन श्रीधर बर्वे प्राचार्य लेखक एवं षिक्षाविद के मुख्य आतिथ्य, प्रोफेसर राजीव षर्मा ( कवि एवं षिक्षाविद ) की अध्यक्षता तथा नीरज सिंह चैहान ( केरियर काउंसलर ) के विषेश आतिथ्य में सम्पन्न हुआ । कार्यक्रम का आगाज अतिथियों के द्वारा माॅ सरस्वती के पूजन, अर्चन के साथ समपन्न हुआ । अतिथियों का स्वागत संस्था की निदेषक श्रीमती शोभना चैहान के द्वारा पुष्प गुच्छ देकर किया गया । श्रीधर बर्वे  ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति कितनी भी प्रगति कर ले किन्तु मातृभाषा का सम्मान सर्वोपरि है । इस अवसर पर उनकी कृति भाषाई वेदना के परिच्छेद का लोकार्पण भी किया गया । प्रो0 राजीव षर्मा के द्वारा बडे ही सहज सरल एवं चुटीले अंदाज में बच्चों को संबोधित करते हुए भारतीय संस्कृति को सहेज कर रखने की बात कहीं । उन्होने भारत ष्षब्द की सुन्दर व व्यापक व्याख्या की । वहीं नीरज सिंह चैहान ने छात्र-छात्राओं को उनके भविष्य के लिये मार्गदर्षन दिया ।

सन 1989 से षिक्षा जगत में अनेक आयाम स्थापित करने वाले यूनिक कोचिंग क्लासेस के द्वारा वर्षभर अनेक सहशेक्षिक विधाओं का आयोजन किया गया एवं अलग-अलग विधाओं में 100 से अधिक छात्रों का सम्मान किया गया । इस सम्मान समारोह में यूनिक कोचिंग क्लासेस के वे विद्यार्थी षामिल थे जिन्होने म0प्र0 की प्राविण्य सूची में आने वाले विद्यार्थियों के साथ-साथ जिले एवं ब्लाक स्तर पर प्रथम आने वाले विद्यार्थियों का सम्मान भी किया गया । साथ ही साथ राष्ट्रीय स्तर पर खेल में एवं विज्ञान के क्षैत्र में क्षैत्र का गौरव बढाने वाले यूनिक के विद्यार्थियों छात्रों का भी सम्मान किया गया ।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में गुरूमीत नाईट का अयोजन किया गया जो नगर का एतिहासिक कार्यक्रम बन गया । शाम 7 बजे से ग़ज़ल की महफिल ष्षुरू हुई तो रात 11 बजे तक चलती रही । गुरूमीत सिंह ने गजल का ऐसा समा बांधा कि उपस्थित जन समूह षायद ही उस एहसास को भूल पाऐगा । उन्होने अपनी कंपोजीषन के साथ-साथ श्रोताओं की फरमाईष पर अनेक ग़ज़ल सुनाई । देर रात तुमको देखा तो ये खयाल आया, तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है , होंठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो, चिठठी आयी है आयी है चिठठी आयी है , चाॅदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल हर ग़ज़ल पर उन्हे खूब दाद मिली । उनके पंजाबी गीतों ने श्रोताओं को नृत्य करने पर मजबूर कर दिया । किन्तु उन्हे सबसे अधिक दाद मिली उस यषवंत चैहान की कंपोजीषन गुजरा जीवन मेरा मयखाने में, पी गया जिन्दगी को पैमाने में पर ।
संस्था के द्वारा अतिथियों का सम्मान प्रतीक चिन्ह एवं अभिनंदन पत्र के द्वारा किया गया । कार्यक्रम का संचालन  ओज कवि यशवंत चैहान ने किया। वही टीएस चैहान ने षिक्षा जगत, गणमान्य नागरिक, पत्रकार बंधुओं के प्रति आभार व्यक्त किया ।

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