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अपने कारनामो से स्वच्छ संगठन को बदनाम करता चाटुकार नेता…

रमेश प्रजापति, राजगढ़। राजगढ़ नगर की राजनीती में अपनी चाटुकारिता की नीव रखने वाला चाटुकार नेता के कारनामे एक स्वच्छ संगठन की छवि धूमिल कर रहें है। जी हाँ हम बात कर रहें है राजगढ़ के उस चाटुकार नेता की जिसने शासकिय महाविद्यालय में जनभागीदारी अध्यक्ष के सपथ समारोह के दौरान पत्रकारों को नकली पत्रकार कहते हुवे नेगेटिव छापने के आरोप लगाये थे। जब पत्रकारो ने उक्त चाटुकार का विरोध किया तो वह चाटुकार वहा से खिसक गया। उक्त चाटुकार नेता के किस्से मेने आपको पुर्व में भी पढ़ाये है। लेकिन लगातार अपने घमण्ड में रह कर एक बाद एक पत्रकारों पर उक्त नेता द्वारा लगाये जा रहें आरोपो के कारण मुझे फिर इस चाटुकार नेता का एक कारनामा उजागर करना पढ़ रहा है। हालांकि एक स्वच्छ संगठन की आड़ में अपने चंदे के धन्दे को चलाने के कारण में यहाँ उस संगठन का नाम लिखना उचित नही समझूँगा क्योंकी मेरा विरोध संगठन से नही है, विरोध हे तो बस उक्त चाटुकार नेता द्वारा पत्रकारों पर की गई टिप्पणी का एवं लगातार पत्रकारों के नाम से गलत टिप्पणी कर अपने आप को दूध का धूला बता रहा है। 
मेरे मन के मानस पटल पर  बार – बार एक सवाल सामने यह आ रहा है की एक स्वच्छ संगठन आखिर किस दबाव में उक्त चाटुकार नेता को पनाह दे रहा है, क्या कोई विशेष लाभ इस चाटुकार नेता के कारण उक्त संगठन को मिल रहा है…? खेर यह तो संगठन के पदाधिकारियो को सोचना चाहिये।
 
इस चाटुकार नेता का एक और कारनामा सामने आया है जिसे कारनामा – ए- भोपाल भी कहा जा सकता है। बात है दरअसल  कुछ महीनों पुर्व की है जब संगठन के आन्दोलन में छात्र – छात्राओं के साथ भोपाल से लौटकर आये उक्त नेता ने चंदे के नाम पर कई नेताओ से झुट का पुलिंदा बांधकर मोटी रकम वसूलना चाही लेकिन इस नेता का यह स्टंट फेल हो गया। दरअसल उक्त नेता ने 3 तूफान गाड़ी की जगह 3 बसों की रकम वसूलना चाही लेकिन जब एक नेता को पता चला की 3 तूफान गाड़ी गई थी तो उक्त नेता ने पल्ला ही झाड़ लिया। बाद में एक नेता से उक्त चाटुकार ने 80 छात्र – छात्राओ को राजगढ़ से भोपाल ले जाने की बात कहते हुए वहा भी मोटी रकम वसूलना चाही। लेकिन हकिकत तो यह है की लगभग 38 छात्र – छात्राएं ही भोपाल पहुँचे थे। अब सवाल यह भी निकलकर सामने आ रहा है की आखिर तिन तूफान गाड़ी में 80 छात्र – छात्राओं को कैसे भोपाल ले जाया जा सकता है, कुल मिलाकर हर बार की तरह इस बार भी अपने चंदे के धन्दे को अंजाम देने में उक्त चाटुकार नेता ने कोई कसर नही छोड़ी है।
इस प्रकार कई कारनामे इस चाटुकार के है जिन्हें इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षर से अंकित किये जाना चाहिये। अब एक बात और उन लोगो को कहना चाहूँगा की उक्त चाटुकार नेता के चक्कर में आकर पत्रकारों पर टिप्पणिया करना बन्द कीजिये क्योकि मेरा विरोध चाटुकार नेता द्वारा पत्रकारों पर की गई नकली पत्रकार की टिप्पणी से है ना की आप लोगो से…मेरे लिये तो मेरे पत्रकार ही मेरा परिवार है और पत्रकारों पर गलत टिप्पणी करना अशोभनी कृत्य है।
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