Homeचेतक टाइम्ससामाजिक समरसता के प्रणेता हैं शिव जी -- संत गोपालकृष्ण महाराज

सामाजिक समरसता के प्रणेता हैं शिव जी — संत गोपालकृष्ण महाराज





तिरला राजगढ़ | राम कथा के आयोजन का आज तीसरा दिन हे |संत गोपालकृष्ण महाराज ने  आज कथा में बताया कि शिव जी अपनी बारात में हीनांग, अधिकांग , उपेक्षित बैडोल दिखने वाले , सेवा बस्तियों में रहने वाले ऐसे सभी लोगों को साथ लेकर गए व सम्माननीय स्थान दिया जिन्हें तत्कालीन श्रेष्ठ समाज उपेक्षा व तिरस्कार भाव से देखता था , शिव जी ने समरसता का सर्वप्रथम सूत्रपात किया और शिव की कथा हमें यह संदेश देती है कि तारकासुर का अर्थात् अधर्म का नाश करना है तो धर्म को संगठित होना पड़ेगा | विवाह प्रसंग के दौरान व्यक्त किए।

संत श्री ने कहा कि हर कोई चाहता है कि उसे जो भी व्यक्ति मिले सच्चा और ईमानदार मिले किन्तु ईमानदार और सच्चा बनना कोई नहीं चाहता। प्रवचन देना और प्रवचन जीना ये दो अलग अलग बातें हैं। प्रवचन कहना सरल है परंतु प्रवचन जीना कठिन है |शिव जी ने प्रवचन को जीया है। जिन्होंने अमृत पिया वो केवल देव कहलाए परंतु शिव जी ने विष पिया और वो महादेव कहलाए।रामायण के गूढ प्रसंगों को अपनी रोचक चुटीली सरल मालवी शैली में समझाते हुए संत श्री कभी श्रद्धालु को हँसने पर मजबूर कर देते हैं तो कभी करूण कथा प्रसंगों से रुला देते हैं तो कभी मधुर संगीत की धुनों से सजे सुरीले भजनों पर  श्रद्धालु को स्वतः नाचने लगते हैं | कथा के श्रवण करने के लिए आसपास के ग्रामीण अंचलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं।
कल श्री राम कथा में भव्य श्री राम जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि धर्मजागरण समन्वय एवं सेवा भारती के संयुक्त तत्वावधान में नवरात्रि महोत्सव के अंतर्गत आयोजित रामकथा सत्संग वनवासी क्षेत्र में इस तरह का पहला बड़ा धार्मिक आयोजन है अतः इसमें सभी वनवासी बंधु ग्रामीण जन स्वप्रेरणा से उत्साहित होकर भाग ले रहे हैं |

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