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नवपद आराधना ओलीजी का भव्य आयोजन, मुनि पीयषचन्द्रविजय – अपनी दिनचर्या बदलना जरुरी…

श्री मोहनखेड़ा तीर्थ/राजगढ़। वर्तमान समय में आमजन की दिनचर्या बदलती जा रही है पहले लोग आसन लगाकर सुखासन में भोजन ग्रहण करते थे, फिर डायनिंग टेबल का जमाना आ गया धीरे-धीरे लोग भोजन को बफेट के रुप में भोजन करते हुये हाथ में प्लेट लेकर इधर-उधर घुमते हुये आयोजनों में भोजन करते हुये देखे जाते है क्या यह दिनचर्या उचित है ?
 उक्त प्रेरणा दायी उद्बोधन देते हुये मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने समस्त आराधकों को श्रीपाल मयणा सुन्दरी प्रवचन श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुये श्री सिद्धचक्र आराधना का महत्व बताया ।
दादा गुरुदेव की पाटपरम्परा के सप्तम पटधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय रवीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती भावी गच्छाधिपति आचार्यदेवेश प.पू. ज्योतिष सम्राट श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म.सा., कार्यदक्ष मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री प्रितीयशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., तपस्वीरत्ना साध्वी श्री  किरणप्रभाश्री जी म.सा. साध्वी श्री सद्गुणाश्री जी म.सा. आदि ठाणा की पावनतम निश्रा में श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट के तत्वाधान में श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर नवदिवसीय नवपद आराधना ओलीजी का भव्य आयोजन चल रहा है । इस आयोजन में 1200 से अधिक आराधक आयम्बिल तप के साथ तीर्थ पर धर्म आराधना कर रहे है इस भीषण गर्मी में सभी तपस्वी तपस्या के साथ सिद्धचक्र की आराधना के साथ तपस्या में लीन है । साथ ही मुनिभगवन्तों द्वारा ओलीजी आराधना के तपस्वीयों को श्रीपाल मयणासुन्दरी के रास पर आधारित प्रवचन का श्रवण कराया जा रहा है ।

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