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दसई- फ्लोरोसिस से प्रभावित मिले बच्चे, पीएचई विभाग का नही ध्यान…

नरेन्द्र पँवार, दसई। विगत दिवस पल्स पोलियो वेक्सिनेशन के दौरान क्षेत्र मे पर्यवेक्षण कार्य हेतु नियुक्त जिला स्तर के कुछ डाक्टरोे की टीम ने लगातार तीन चार दिन तक घर घर जाकर पोलियो वेक्सिनेशन का निरिक्षण किया। इसी दौरान जिला फ्लोरोसिस अधिकारी डाॅ एम डी भारती तथा प्रा स्वास्थ्य केन्द्र दसई के मेडिकल आफिसर डाॅ. अमितेष वर्मा की टीम को फ्लोरोसिस से प्रभावित कुछ बच्चे मिले। इनके द्वारा जब पडताल की गई तो पता चला की क्षेत्र  के कई गांव ऐसे पाये गये जहां पर फ्लोराइड युक्त पानी पिने की वजह से फ्लोरोसिस बिमारी की भयावह स्थिति देखने को मिली। डाक्टर का कहना था कि क्षेत्र के गलोंडा, कुंडालपाडा, चाकलिया, चौटिया बालोद, पदमपुरा, खोदरा सहित अनेक गावों मे फ्लोरोसिस के मरीज देखने को मिले है। इन गावो मे पेयजल के नाम पर यह पानी धीमा जहर का काम कर रहा है। जिससे आगे चलकर मानव स्वास्थ्य की बडी क्षति होगी।

क्या है फ्लोरोसिस रोग  –  मानव शरीर मे फ्लोराइड आवश्यक तत्व है लेकिन इसकी मात्रा पानी मे यदि एक पीपीएम से अधिक हो और उस पानी को लगातार सेवन किया जावे तो यह मानव स्वास्थ्य के लिये हानि कारक होता है। इस तत्व के अधिक मात्रा मे सेवन करते रहने से फलोरोसिस नामक रोग होता है जो आगे चलकर पुरे गांव के आबादी के लिये भारी मुसिबत का कारण बन सकता है। यह रोग फ्लोाइडयुक्त भूमिगत जल के अतिरिक्त अवसाद बढाने वाली व रोग प्रतिरोधात्मक टेबलेट, प्रदूशण , काला नमक, सुपारी, काली चाय,टूथपेस्ट तथा तंबाकू आदि का अँधा धुंध  प्रयोग से भी पैदा हो सकता है।

 लक्षण– इसमे शुरूआत मे दांत काले तथा चितिदार हो जाते है। बाद मे दांत की पकड ढीली हो जाती है।आगे चलकर पैरों की हडिडयां कमजोर होना, टेढापन,कमर का आगे की ओर झुक जाना,कडकपन आना, जवान एवं बच्चों का बुढे जैसे दिखाई देना आदि प्रमुख है। यहां तक की 5पीपीएम से अधिक मात्रा प्रतिदिन लेने से कोमल उतक अंग एवं तंतु भी प्रभावित होने लगते हेै। जिससे शरीर कृशकाय एवं हडिडयां कमजोर होकर भुर-भुरी जाती है।


बचने के उपाय- सर्व प्रथम तो पेय जल स़्त्रोत के पानी की जांच करवायें तथा एक लीटर पानी मे एक पीपीएम से अधिक फ्लोराइड पाये जाने पर उसका उपयोग तत्काल बंद कर दें। बच्चों को दूध का अधिक प्रयोग करवायेें। कैल्सियम आयरन, विटामिन डी युक्त भोजन दें।घरों मे वाटर हार्वेस्टिंग लगावें। सुपारी, तंबाकु, काली चाय, काला नमक, फ्लोराइडयुक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल तत्काल रोक देेवे।
  पीएचई का नहीं है इस और ध्यान- लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का अधिकतम समय इस बात मे रहता है कि गांव मे पानी तो मिले चाहे वह शुध्द हो या अशुध्द। पीएचई को समय समय पर पेयजल स्त्रोंतो के नमूने लेकर फ्लोराइड की जांच करवाना चाहिये। तथा पानी की शुध्दता का भी ध्यान रखना होगा अन्यथा इस भयंकर बिमारी से अनजान लोग लगातार फ्लोराइडयुक्त पानी पीकर बिमार होते रहेगें।
 इनका कहना है-
   यह बात सही है कि हमारे द्वारा इस क्षेत्र के भ्रमण के दौरान कई गावों मे फ्लोरोसिस से पिडित बच्चे एवं कई लोग रोगग्रस्त मिले हैं। इस पर ध्यान दिया जाना नितांत आवश्यक है। इस रोग के बचाव के लिये हमने पर्चे भी बटवायें है। लोगो को फ्लोराइड युक्त पानी का उपयोग तत्काल बंद कर देना चाहिये। – डाॅ. एम डी भारती जिला फ्लोरोसिस अधिकारी धार


 पीएचई के द्वारा जांच मे कई गावों मे फलोराइडयुक्त पानी मिला है। लेकिन पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था के अभाव मे पेयजल स्त्रोत पर प्रतिबंध नहीं लगाया जासकता है। इसमे गांव के लोग तथा ग्राम पंचायत सहयोग करे तभी फलोराइडयुक्त पेयजल पर रोक लगाई जासकती हैं। –  श्रीमंता प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी पीएचई सरदारपुर

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