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तिरला में श्री राम कथा का हुआ समापन, हजारों वनवासी बन्धु हुवे शामील, संत गोपाल कृष्णजी महाराज – श्री राम कथा में सामाजिक समरसता का अनुपम उदाहरण है…

राजगढ़। वनवासी क्षेत्र तिरला में गत एक सप्ताह से चल रही श्री राम कथा का हवन पुजन व भण्डारे के साथ समापन हुआ। कथा में राष्ट्रिय संत श्री गोपाल कृष्णजी महाराज के मुखारविन्द से प्रवचन सुनने क्षैत्र के 65 से अधिक गांवों के हजारो महिला एवं पुरूष शामील हुवे। कथा समपान पर संत श्री ने अपने प्रवचन में हिन्दू धर्म की सामाजिक समरसता के भाव व धर्मरक्षा के लिए आव्हान करते हुए कहां की धर्म के काम के लिए माता सबरी ने अपने जन्म से लेकर बुढ़ापे तक प्रभु श्री राम के आगन के इन्तजार में सारी उम्र लगाई थी तब प्रभु के दर्शन हुवे थे। आज भी उनकी प्रेरणा लेना चाहिए। श्री राम कथा में सामाजिक समरसता का अनुपम उदाहरण है। माता शबरीके झुठे बैर प्रभु द्वारा खाना व केवट से मिल कर वन मे वनवासी समाज को संगठीत कर अधर्म पर चलने वाले रावण का वधकर धर्म की रक्षा की थी। आज भी धर्म और अधर्म की लड़ाई जारी है। हमको धर्म की रक्षा के साथ – साथ देश की रक्षा का संकल्प लेना होगा। आज विधर्मी लोग हमारे भोले भाले वनवासी लोगो को स्वास्थ्य- शिक्षा व सेवा के नाम पर लालच देकर धर्म बदलने का कुचक्र चला रहे है। जिससे सावधान रहना होगा। हमारा समाज प्रारम्भ से ही प्रकृति की पुजा करता आ रहा है। जल, जमीन, वृक्षों की पुजा कर उसका संरक्षण करता रहा है। जिस प्रकार हमारे शरीर के किसी भाग पर चोट लगने से पुरे शरीर को दर्द महसुस होता है। ऐसा ही हमारी इस भारतमाता रूपी देशभुमी पर देश के किसी भी हिस्से में हमारे हिन्दू समाज को कष्ट होता है तो हम सभी को महसुस होना चाहिए इस एकात्म भाव के जागरण की आवश्यकता है। हमे संगठीत होकर  देश धर्म विरोधी शक्तियों का सामना करना पड़ेगा।

कथा के समापन पर धर्मजागरण के मालवा प्रांत प्रमुख अभिषेक गुप्ता ने अपने उद्बोधन में क्षैत्र के लगभग दस हजार से अधिक लोगो से कहा की श्री राम कथा का आज समापन हो रहा है लेकिन यह हमारे क्षैत्र के धर्मजागरण के कार्य का शुभारंभ है। हम सभी लोग अब प्रभु श्री राम की बातो को अपने जीवन में, परिवार, क्षेत्र में मान कर जन शक्ति रूपी समाज को संगठीत करने का कार्य प्रारंम्भ करना है। क्योंकी भगवान राम के समय अधर्म रूपी रावण को संगठीत शक्ती के द्वारा पराजित किया था। आज भी हमारे क्षेत्र में आसपास में अधर्म पर चलने वाले लोग है उनसे सामना कर पराजित करने के लिए समाज की समस्त शक्ति को संगठीत करने के लिए हम को सक्रीय रहना होगा।

कथा समापन के पूर्व कथा पाण्डाल में समरसता यज्ञ का आयोजन किया जिसमें बड़ी संख्या में वनवासी बन्धु सहपरिवार शामील हुवे। प्रवचन समाप्ती पर महाआरती के पश्चात भण्डारे का आयोजन हुआ जिसमे क्षैत्र के दस हजार से अधिक लोगो ने भोजन प्रसादी ग्रहण की। वही समापन अवसर पर क्षैत्र के कई जनप्रतिनिधी व सामाजीक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।

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