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श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना के साथचैत्र सुदी पूर्णिमा की आराधना की हुई पूर्णाहुति, ओली आराधना के साथ जीवन में बदलाव भी जरुरी – मुनि पीयूशचन्द्रविजय

श्री मोहनखेड़ा तीर्थ / राजगढ़। नव दिवसीय शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना के आराधकों व चैत्र सुदी पूर्णिमा के आराधकों को प्रेरणादायी प्रवचन देते हुये कार्यदक्ष मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा हर व्यक्ति जीवन में जीने की चाह रखता है कोई मृत्यु की कामना नहीं करता है भोजन में सफेद भात का परोसना भोजन का विराम, युद्ध में श्वेत ध्वजा लहराना युद्ध विराम, सिर पर सफेद बाल का आना जीवन का विराम दर्शाता है फिर भी ईन्सान सफेद बालों को काला करने में माहिर हो चूका है उम्र के पड़ाव पर व्यक्ति स्वयं को बुढ़ा होना नहीं मानता है । महिलाऐं ब्यूटी पार्लर में जा कर स्वयं को सौन्दर्य प्रसाधन की सामग्री से निखार ने में लगी हुई है । श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में नव दिनों तक शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना करने के पश्चात् हमारे जीवन में यदि हम इन बुराईयों का त्याग नहीं कर पाये व रात्रि भोजन त्याग, कंदमूल का त्याग नहीं कर पाये तो इसका अर्थ यही माना जायेगा कि हमने तीर्थ स्थान में जाकर सिर्फ टाईमपास किया है और हमारे जीवन में यदि बदलाव प्रेक्टीकल रुप में दिखने लग जाये तो यह मान लेना की हमने महातीर्थ में आकर अपनी आत्मा का कल्याण किया है । धर्म की साधना आराधना करके हमारे जीवन को सफल बनाया है । मुनिश्री ने समस्त आराधकों के जीवन में खुशहाली आये ऐसी कामना की है । प्रवचन के दौरान आयोजक समिति के सदस्यों ने मुनिश्री की चरण पूजा भी की ।
    आज मंगलवार को चैत्र सुदी पूर्णिमा के अवसर पर 700 से अधिक आराधकों ने चैत्र सुदी पूर्णिमा की आराधना उपवास की तपस्या के साथ की । इस आराधना में आराधकों ने प्रभु श्री आदिनाथ भगवान की समोशरण में चौमूखी प्रतिमा को विराजित कर अष्टप्रकारी पूजा विधान पूर्ण किया । यह आराधना वर्ष में सिर्फ एक बार ही की जाती है । चैत्र पूर्णिमा के दिन आदिनाथ भगवान के प्रथम गणधर, भरतचक्रवर्ती के पुत्र, पुण्डरिक स्वामी 5 करोड़ साधु भगवन्तों के साथ शत्रुंजयगिरि तीर्थ से सिद्ध पद को पाये थे । आराधकों ने 150 लोगस्स का काउसग्ग कर 150 प्रदक्षिणा देकर 20 माला का जाप भी किया । इस आराधना को करने से जीवन के दुष्कर्मो का नाश होता है । जो आत्मा त्रिकर्ण योग से चैत्री पूर्णिमा की आराधना करती है वह आत्मा मोक्ष सुख प्राप्त करती है ।
    दादा गुरुदेव की पाटपरम्परा के सप्तम पटधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय रवीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती भावी गच्छाधिपति आचार्यदेवेश प.पू. ज्योतिष सम्राट श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म.सा., कार्यदक्ष मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री प्रितीयशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., तपस्वीरत्ना साध्वी श्री  किरणप्रभाश्री जी म.सा. साध्वी श्री सद्गुणाश्री जी म.सा. आदि ठाणा की पावनतम निश्रा में श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट के तत्वाधान में श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर नवदिवसीय नवपद आराधना ओलीजी का भव्य आयोजन चल रहा है । इस आयोजन में 1200 से अधिक आराधक आयम्बिल तप के साथ तीर्थ पर धर्म आराधना कर रहे है इस भीषण गर्मी में सभी तपस्वी तपस्या के साथ सिद्धचक्र की आराधना के साथ तपस्या में लीन है । साथ ही मुनिभगवन्तों द्वारा ओलीजी आराधना के तपस्वीयों को श्रीपाल मयणासुन्दरी के रास पर आधारित प्रवचन का श्रवण कराया जा रहा है ।

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