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कागजो पर जारी है स्वच्छ भारत अभियान, शोचालय तो बनवा दिये लेकिन इनका उपयोग करने में नही दिखाई दे रही है गंभीरता…

गोपाल राठौड़,पेटलावद। स्वच्छता के लिये दिल्ली से होने वाले प्रयासों को स्थानीय स्तर पर किस तरह से लिया जा रहा है उनकी बानगी भर देखनी हो तो पेटलावद अंचल में बनने वाले शोचालयो की स्थिति से पुरी पिक्चर समझ में आ जाएगी। उपरी निर्देर्शों के पालन में सरकारी आकडां का ग्राफ दिखाने के लिये 27 करोड के शोचालय तो बनवा दिये है । मजे की बात तो यह है कि इनके उपयोग के प्रति कोई गंभीर नही है। इसका एक कारण यह भी है कि कागजो पर अपटूडेट बने कई शोचालय जर्जर हो चुके है तथा कई के गडढे भी पूर्ण नही है। ऐसे में इनके उपयोग की कोशिश के हर प्रयास सिर्फ शुन्यता की और ही ढकेलेगे।
पेटलावद क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में समग्र स्वच्छता अभियान के तहत 23 हजार व्यक्तिगत शोचाल पर 27 करोड़ रूपए व्यय किए गए है।  किंतु उनका उपयोग हुआ की नहीं आज तक किसी के द्वारा देखा नहीं गया.। क्योंकि वे अपने गुणवत्ता के कारण उपयोग लायक ही नहीं है। केवल एक रश्म अदाईगी कर शोचालयों का निर्माण किया गया. ग्रामीण क्षेत्रो  में वास्तविक स्थिति देखे तो शोचालय के नाम पर एक छोटा सा निर्माण जिसके दरवाजे टूटे फूटे. जिस कार्य के लिए उसका निर्माण हुआ उसका उपयोग आज तक नहीं हुआ। ऐसे एक या दो नहीं 95 प्रतिशत मामले देखनें में आए है। जहां शोचालय का उपयोग ही नहीं हो रहा है।
उपयोग नहीं होने का कारण या तो जीर्णशीर्ण हो रहे है या उनका कार्य ही पूरा नहीं हुआ है. कई शोचालयों के तो होद आज तक बने ही नहीं है ग्रामीणों का कहना है कि हम इनका उपयोग कैसे करें. वहीं सरकारी महकमें में बैठे लोग कहते है कि ग्रामीणों में जागरूकता नहीं है. हम क्या करें. निर्माण कर के दे सकते है. उसका उपयोग तो स्वयं करना होगा. आखिर इन परिस्थितियों के चलते समग्र स्वच्छता अभियान अपने लक्ष्य को कैसे पाएगा.

ग्राम बईडिया में एक भी शोचालय नहीं –
खोरिया पंचायत के ग्राम बईडिया घाटी क्षेत्र में एक भी ग्रामीण के यहां शोचालय नहीं बना है. इस संबंध में जानकारी निकालने पर ग्रामीणों ने बताया की निजी भूमि और सरकार भूमि के विवाद के चलते हमारे गांव में शोचालय निर्माण नहीं हुए है. जिस कारण से पूरे गांव के लोग आज भी शोच निर्वती के लिए जंगल में जाने को मजबूर है.यहां तक की ग्रामीणों के लिए न कोई नाली निकासी है न ही कोई अन्य सुविधा है. इस ग्राम के लोग आज तक सरकारी सुविधा के अभाव में जी रहे है.
सरकारी ने 23 हजार शोचालय का निर्माण कर तो दिया किंतु जमीनी हकीकत यह है कि उनमें से 2300 शोचालय का भी उपयोग नहीं हो पा रहा है. जिस कारण से सरकार द्वारा शोचालय निर्माण पर किया गया 27

करोड़ रूपया व्यर्थ जा रहा है –
इस संबंध में जनपद पंचायत के स्वच्छता का कार्य देख रहे बाबूलाल परमार से चर्चा की गई तो उनका कहना है कि इस वर्ष 10 हजार शोचालयों का निर्माण किया गया है. और 9 ग्राम पंचायतों को खुले में शोच मुक्त करने के प्रयास चल रहे है वहीं 11 गांव खुले में शोच मुक्त हो चुके है.

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