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अतिथि विद्वानों ने मुख्यमंत्री को सौपा ज्ञापन, बोले – साहब आप सबकी सुनते हो हम अतिथि विद्वानो की भी सुन लिजिए…

राजगढ़। मोहनखेड़ा तीर्थ पर प्रदेश कार्य समिति बैठक से लौटते समय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को महाविद्यालय में पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों ने नियमति कर उचित मानदेय प्रदान देने हेतु ज्ञापन सौपा। ज्ञापन सौपते हुए विद्वानों ने मुख्यमंत्री से कहा की साहब आप सबकी सुनते हो हम अतिथि विद्वानो की भी सुन लिजिए हमे नियमित कर दिजिये। अतिथि विद्वानों द्वारा सौपे गये ज्ञापने में बताया गया की विगत 20 वर्षो से मध्यप्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक के रिक्त पद पर अतिथि विद्वान के रूप में अध्यापन एवं महाविद्यालय संबंधित अन्य कार्य निर्वहन किया जा रहा है। हम अतिथि विद्वानों की नियुक्तियां भी एक विशेष व्यवस्था के तहत उचित योग्यता (एम.फिल.,स्लेट, पीएचडी, नेट) एवं अनुभव के आधार पर उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विज्ञापन जारी कर मैरिट के आधार पर आंमत्रित किया जाता है। वह तमाम् योग्यता व अनुभव जो कि एक सहायक प्राध्यापक के लिये आवश्यक है वह सभी योग्यता हम अतिथि विद्वान रखते है फिर भी एकसमान योग्यता तथा एक समान कार्यो का निर्वहन करते हुए भी ना तो हमारी नियुक्यिां स्थाई हो रही है एवं न ही संबंधित पद के अनुसार उचित मानदेय दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मी को नियमित कर दिया, संविदा शिक्षक नियमित हो गये, हजारो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी नियमित कर दिये गये। पंचायत सचिव, ग्राम सहायकों को संविदा नियुक्ति दी गई। इन सब पर आपकी कृपा हुई तो हमारे साथ ऐसा सोतेला व्यवहार क्यो किया जा रहा है। म.प्र. शासन में 4 मार्च 1987 के पूर्व महाविद्यालय में कार्यरत पांच हजार एडोक सहायक अध्यापको को नियमित कर दिया गया। अतः हमारे साथ भी समान व्यवहार किये जाने की कृपा करें। मुख्यमंत्री से अतिथि विद्वानों ने विशेष आग्रह किया कि हमारे भविष्य को देखते हुए नियमित किया जाये तथा सम्मानजनक मानदेय, दिया जाये ताकी अपने परिवार का उचित रूप से पालन पोषण कर सकें। ज्ञापन के दौरान आरती शुक्ला, सुनिल जाट, राकेश शिदे, नानुराम यादव, वर्षा मेडम, राजेश मिश्रा, अरूण, सचिन राठौड़, निलम पाटीदार, अनिता चौहान, शिप्रसाद बाम्बे, विधि बाजपेय, चेतना ठाकुर आदी अनेक अतिथि विद्वान मौजुद थे।

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