Homeअपना शहरटीप्पणी: क्या मिल गया गरीबों के आशियाने को तोड़कर... अब पछताये होत...

टीप्पणी: क्या मिल गया गरीबों के आशियाने को तोड़कर… अब पछताये होत क्या जब चिड़ीया चुग गई खेत…

रमेश प्रजापति, राजगढ़। एक चिड़ीया तिनका – तिनका इकट्ठा कर अपना घोसला बनाती है और जब उस घोसले कोई तोड़ देता है तो चिड़ीया रहना मुश्किल हो जाता है। टुटे होवे घोसले को देख चिड़ीया की चहचहाट चिख में बदल जाती है। इन दिनों नगर में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। किसी ने ठेला लगाकर तो किसी ने लोगो के बर्तन साफ कर और किसी ने मजदुरी कर अपना आशियाना बनाया लेकिन अतिक्रमण के नाम पर हुई कार्यवाही ने उन लोगो के आशियाने को देखते ही देखते ध्वस्त कर दिये गये। इन आंखो को वो मंजर याद है जब किसी ने आखों में आसु के साथ गुहार लगाई तो कोई पैर पकड़कर गिड़गीड़ाया लेकिन किसी का दिल नही पसीजा…।

नगर के आदेश्वर मंदिर के पिछे जिसे शासकीय भूमी कहा जा रहा है या हकीकत कुछ और भी हो वहां कुछ लोगो ने प्लाट काट कर गरीबों को बेच दिया है। जिन पर मेहनत मजदुरी कई लोगो ने अपना घर बनाया। राजस्व विभाग को शिकायत हुई और विभाग ने कार्यवाही करते हुए लोगो के मकान ही ध्वस्त कर दिये। सवाल यह है की इन गरिबों के आशियाने उजाड़ने  से क्या मिल गया। अगर प्रशासन इतना ही सख्त है तो जिन काले कुबेरो ने यहां प्लाट काटकर बेचा उन पर प्रशासन कोई कार्यवाही क्यों नही कर पा रहा है। यहां एक बात तो साफ – साफ नजर आ रही है की मामले में राजनितिक हस्तक्षेप भी जमकर हुआ है…।

जिस प्रदेश का मुखीया कहता है की गरिबों को रहने के लिए घर दिया जायेगा उसी मुखीया के राज में हुई  कार्यवाही ने गरिबो के बने बनाये मकान को तुड़वाकर घर से बेघर कर दिया। अब उनके मन की पिड़ा कौन समझेगा जिन्होने अपने घरोंदे कोे अपनी आंखो के सामने टुटते हुए देखा है। विभाग अगर उन काले कुबेरो पर कार्यवाही करता जिन्होने यहां प्लाट काटकर अपने जैब भारी किये है तो विभाग जरूर धन्यवाद का पात्र होता…।

नगर में कई जगह वर्षो से अतिक्रमण है वहां तो आज तक प्रशासन की निगाह नही पहुंची। क्यूं प्रशासन वहां आखें मुंद लेता है..? लेकिन गरिबों के मकान तौड़ कर अब प्रशासन को कौनसा मैडल मिल जायेगा। यहां केवल  एक पक्षीय कार्यवाही नजर आ रही है। नगर में वर्षाे से जमा अतिक्रमण हटाने में हिम्मत क्यों नही जुटा पा रहें है। 6 मकानों को तोड़कर और न्यायालय की फटकार सुनकर अब हाथ मलने से क्या होगा। कहते है ना की अब पछताये होत क्या जब चिड़ीया चुग गई खेत…

में यहां किसी का विरोध नही कर रहा हुं बस सवाल कर रहा हुं की क्या गरिबों के आशियाने तोड़ने से कोई बड़ी सफलता हासिल हुई..? क्या नगर में अन्य जगह अतिक्रमण नही दिखाई दे रहा..?  क्या ‘‘शिव राज’’ में गरिबों का आशियान उजाड़ना बहादुरी का कार्य है..?  जरा अपने दिल पर हाथ रखकर जरूर सोचीयेंगा जनाब…

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!