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महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वानों ने नियमितिकरण हेतु लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा ताई को सौपा ज्ञापन…

इंदौर। मध्यप्रदेश के शासकिय महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वानों ने नियमितिकरण हेतु लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को ज्ञापन सौपा। अतिथि विद्वानों ने ज्ञापन में बताया की महाविद्यालयों में कार्यरत उच्च शिक्षित हजरों अतिथि विद्वानों की स्थिती अत्यंत दयनीय है। विगत अनेक वर्षो से निरंतरता एवं निश्चत मानदेय की मांग करते आ रहें अतिथि विद्वानों द्वारा कई आंदोलन किये गये परंतु परिणामों में लाठी एवं जेल ही मिला है। 25 वर्षो से सामान्य वर्ग के सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया नही हुई और इन पदो पर अतिथि विद्वानों के द्वारा अध्यापन कार्य किया जा रहा है। शासकीय एवं जनभागीदारी अतिथि विद्वानों के मानदेय विसंगति पूर्ण है जो कि यूजीसी द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानदेय से बहुत कम है। इस कारण आजीविका निर्वाह करना बहुत जटिल हो गया है। निति एवं नियम निर्धारक सवैधानिक संस्थाओं/ न्यायालय ने अपने निर्णय में आदेश पारित किये है फिर भी अतिथि विद्वानों का शोषण जारी है। एक और शासन द्वारा महाविद्यालय चलों अभियान चलाते हुए नवीन महाविद्यालय  स्थापित किये जा रहे है। दूसरी और इन महाविद्यालयों में अध्यापन व्यवस्था संभालने वाले अतिथि विद्वानों का शोषण एवं उपेक्षा की जा रही है। म.प्र. शासन हमारी मांगों की लगातार उपेक्षा कर रहा है हमारे समक्ष जिवन मरण की स्थिती है। हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली सहित कई राज्यों में अतिथि विद्वानों की वेतन विसंगति को समाप्त करते हुुए उनके नियमितीकरण की प्रक्रिया को अपनाया जा चुका है। ज्ञापन देकर मांग की गई हे की शासकिय महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वानों (शासकिय/जनभागीदारी)/क्रीड़ा अधिकारी/ ग्रंथपाल को नियमितीकरण होने तक निश्चित मानदेय पर निरंतर संविदा/ तदर्थ/ आपाती नियुक्ति की जाय। इस दौरान अतिथि विद्वान महासंघ डाॅ. लीना दूबे, आरती शुक्ला, मंजु भार्गव आदि अतिथि विद्वान मौजुद थे।

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