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सरदारपुर तहसील मे बढता भ्रष्टाचार, दो वर्ष मे नही हो पाई करोडो के अग्रिम व शौचालय निर्माण घोटाले पर कार्यवाही, जिला प्रशासन का कडा रूख ही बदल सकता है तहसील की दशा…

सरदारपुर। जिले की सबसे बडी तहसील मे शुमार सरदारपुर तेहसील मे लेट लतीफी और भ्रष्टाचार के भंडारे होना मानो आदत सी बन चुकी है। करोडो के भ्रष्टाचार की परते खुलने के बाद भी परदा डालकर दबाना इस तेहसील मे आम बात हो गई है। अग्रीम राशी घोटाले मे 2 वर्ष बाद भी कडी कार्यवाही लाभ शुभ के चलते नही हो पा रही है। एक नही सैकडो फर्जी शोचालय की राशी हडप ली गई है। परंतु  कार्यवाही के नाम पर शुन्य ही है। इसी तरह तहसील मे कपीलधारा कुप के मामले हो या तालाबो,सडके हो या अधुरे निर्माण कार्य भ्रष्टाचार की बली चढते जा रहे है। पंरतु कडी कार्यवाही के नाम पर उस दिशा मे मौन धारण  भी शंकाओ को जन्म देता है। शिकायते मय प्रमाण के दर्जनो नही सैकडो की तादात मे बस्ते मे बंद हो गई या फिर रफा दफा कर दी गई।
तहसील क्षैत्र के ग्रामीण अंचलो मे तो लापरवाही और भ्रष्टाचार की सभी सीमाये पार हो चुकी है। जाब कार्ड धारी गरीब वर्ग के लोगो को तो मनरेगा योजना मे काम नही के बराबर मिलता है। उसके बदले संपन्न लोगो के जाब  कार्ड का उपयोग हो रहा है। जिन संपन्न लोगो के यहा मजदुर कार्य करते है। वै स्वंय मनरेगा योजना मे कार्य करते हुये दर्शाये जाते है। विकास और सेवा मे स्वार्थ का पलडा भारी नजर आता है। इसी के चलते न तो कोई जन प्रतिनिधी खुल कर विरोध करता है और नाही शासकीय स्तर पर कडी कार्यवाही के संकेत दिखाई देते है। सुचना का अधिकार जो आम नागरिक को प्राप्त है। उसमे चाही गई जानकारी समय सीमा मे न देकर उसकी धज्जिया उडाई जाती है।
सरदारपुर जनपद के तो आलम जिले की अन्य जनपदो से काफी भिन्न है। यहा तो सिर्फ इतना लिखा जा सकता है की पुराने पापो को नया आकर छुपाने का कार्य प्रगति रथ है। इस जनपद मे एक नही हजारो निर्माण कार्य 2 वर्ष से भी अधिक समय से अधुरे पडे हुये है। जो की एक उदाहरण है। जबकी पंचायत स्तर पर सुपरविंजन एक नही  सीईओ से लगाकर पंचायत इंस्पेकटर, पंचायत संमन्वयक अधिकारी, उपयंत्री,सचिव, रोजगार सहायक निगरानी के लिये तैनात है।
ग्रामीण अंचल से प्रतिदिन 2 से 4 शिकायते तहसील मुख्यालय पर प्रमाणित आती है। ग्रामीणो को तो अधिकारी मात्र जांच का आश्वासन देते है। पंरतु कार्यवाही के नाम पर चुप्पी साधे रहते है। मिडीया की जागरूकता भी इस तेहसील मे बैअसर है। प्रतिदिन प्रमाणित समाचारो के प्रकाशन पर वरिष्ठो की चुुप्पी सीधे सीधे मिडीया पर चोट के समान है। जिला प्रशासन यानी की जिले के कलेक्टर यदि यहा वर्षो से पडे आधे अधुरे कार्य को एक समय सीमा मे पुर्ण करवाने की दिशा मे पहल करते है तो निश्चीत परिणाम सकारात्मक निकलेगे। जिससे आमजनो को उसका लाभ मिलने लगेगा। प्रशासन के नरम रूख के चलते तहसील क्षैत्र मे समस्याओ शिकायतो एंव भ्रष्टाचार दिन प्रतिदिन चरम पर पहुॅचता जा रहा है। जिससे शासन की जनकल्याणकारी योजनाओ का लाभ आमजन को पुर्ण रूपेण नही मिल पा रहा है।
जिला प्रशासन का कडा रूख ही इस तेहसील की दशा बदल सकता है। अन्यथा तहसील प्रशासन तो दिखवाते हे देखता हूँ की तर्ज पर ही समय पास करता रहेगा।

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