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12 -13 अगस्त को श्री सीमन्धर स्वामी के बेले की तपस्या का आयोजन, धर्म का प्रभाव जीवन में महुसस किया जा सकता है – मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी…

झाबुआ। दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के अष्ठम पटधर गच्छाधिपति आचार्यदेवश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि धर्मबिंन्दु ग्रंथ में आचार्यश्री हरिभद्रसूरिजी म.सा. धर्म का प्रभाव बताते हुये कहते है कि धर्म के प्रभाव से व्यक्ति सुरक्षित हो जाता है धर्म करने वाला उसके प्रभावों को जानता व समझता है। धर्म का प्रभाव हमें इस जीवन के साथ अगले जन्म में भी प्राप्त होता है और अगले जीवन में ऐश्वर्य की प्राप्ति करता है । संसार में जितनी सुख सुविधा है उतनी ही उसकी सावधानी की जरुरत है सुख सुविधाओं का हमें सदूपयोग करना है उसमें डुबना नहीं है । संसार के सुख छोड़ने जैसे है जितना प्रेम आत्मा से करना है उतना संसार की सुख सुविधा से नहीं करना है । आयांबिल तप करने से शुगर, थाईरायड, ब्लडप्रेशर की बिमारी नहीं होती है। अपनी आत्मा को धर्म के धागे से जोड़कर रखा जाये तभी सुरक्षित रहेगें । जिस प्रकार महासागर किसी की प्यास नहीं बुझा सकता उसी प्रकार संसार हमें मुक्ति नहीं दिला सकता क्योंकि सागर का जल भी खारा है और संसार भी खारा ही है।


शुगर, थाईरायड, ब्लडप्रेशर यह बिमारीयां शरीर में जब स्थाई रुप से प्रवेश कर लेती है तो इस बिमारी को जड़ से साफ करने में बहुत तकलीफ होती है । प्रभु ने हमें मानव जीवन प्रदान किया है उसका सदूपयोग करना है क्योंकि मानव जीवन हमें पुनः प्राप्त हो जाये यह जरुरी नहीं । व्यवहार में यदि वैर की बड़ी दिवारे खड़ी हो गयी है तो पर्युषण पर्व के दौरान हम परस्पर क्षमायाचना करके वैर के सम्बंधों को मधूरता में बदल सकते है । पर्व तिथियों में यदि आराधना करते – करते हमारा आयुष्य का बंध पूर्ण हो जाये तो हमारी आत्मा को सदगति प्राप्त हो जाती है । पूर्व के दिनों में हमें धर्म आराधना करना है हम अभी भी संसार के मोह माया के जाल में फसे हुये है । हमें धर्म सुलभता से मिला हुआ है देवता धर्म ध्यान करने के लिये तरसते है । धर्म का क्षत्र हमें दुख की बारिशों से बचा सकता है धर्म का प्रभाव जीवन में महसुस किया जा सकता है । धर्म के प्रभाव से व्यक्ति को संसार के जंजाल से मुक्ति प्राप्त होती है ।

दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. की पाट परम्परा के अष्ठम पटधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पावनतम निश्रा एवं पूज्य मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा., साध्वी श्री रत्नरेखाश्री जी म.सा., साध्वी श्री अनुभवदृष्टाश्री जी म.सा., साध्वी श्री कल्पदर्शिताश्री जी म.सा. आदि ठाणा की सानिध्यता में झाबुआ शहर में वर्षावास 2017 चल रहा है । वर्षावास में 45 दिवसीय सिद्धितप तपाराधना में 70 से अधिक आराधक आराधना में लीन है । इसका लाभ मनोकामना कटारिया परिवार द्वारा लिया गया है । चातुर्मास में धर्मबिंदु ग्रंथ एवं नल दमयंती कथानक के चरित्र पर भी प्रवचन माला चल रही है । 12 अगस्त शनिवार एवं 13 अगस्त रविवार को श्री सीमन्धर स्वामी के बेले की तपस्या का आयोजन रखा गया है इसकी धारण शुक्रवार को होगी । तपस्वीयों का पारणा 14 अगस्त को होगा । इसका लाभ उत्तमकुमारजी बापुलालजी लोढ़ा परिवार कालीदेवी वालों को प्राप्त हुआ है ।
रविवार 3 सितम्बर को झाबुआ नगर में बस स्टेण्ड के पीछे स्थित शहनाई गार्डन में दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. की पाट परम्परा के अष्ठम पटधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के मुखारविंद से चातुर्मास आराधना की पंचम महामांगलिक का भव्य आयोजन 11 बजे चातुर्मास समिति द्वारा किया गया है । इसका सीधा प्रसारण सुबह 11 बजे से 2 बजे तक पारस टीवी चैनल पर भी किया जावेगा।

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