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राजगढ़ – पर्युषण पर्व का पहला दिन, मनुष्य जन्म मिला है तो इन आठों दिन धर्म आराधना कर अपनी आत्मा को सजावें- पुज्या श्री मधुबालाजी…

राजगढ़। आचार्य प्रवर पुज्य गुरूदेव श्री उमेशमुनि जी म.सा. के सुशिष्य प्रवर्तक पुज्य श्री जिनेन्द्रमुनि जी म.सा. की आज्ञानुवर्ती पुज्या श्री मधुबालाजी म.सा. आदी ठाणा-7 महाविर स्थानक भवन में चातुर्मासा आराधना हेतु विराजीत है। पुज्या  श्री मधुबाला जी म.सा. ने धर्मसभा में फरमाया की आज से पर्वाधिराज पर्युषण पर्व प्रारंभ हुआ है। यह पर्व आपको अपने त्याग से सजाना है ना कि संसार के किसी पार्लर में जाकर, आपको आत्मा कि कमाई करना है। मनुष्य जन्म मीला है तो इसे इन आठो दिन धर्म आराधना कर अपनी आत्मा को सजाना है। वही पुज्या श्री सुनीता जी म.सा. ने बताया कि आज पर्व का प्रथम दिन है अपने अंतर आत्मा कि शुद्धी करना है। पर्व में जितनस तप त्याग करे वह कम है। आठों दिन आठो दिन आराधना करनी चाहिए। बच्चों को स्कुल टाईम से छोड़ते हो मगर जीन वाणी को सुनने का समय नही है। जीवन में जीनवाणी का श्रवण करना चाहिए। 

स्थानक समाज के हितेश वागरेचा ने बताया कि पुज्या श्री श्रृद्धाजी म.सा. ने अंतरगढ़ सुत्र का वाचन कर अर्थ समझाया। श्रीमति भारती खाबिया के आज 30 उपवास एवं श्रीमती समीक्षा लुणावत के आज 28 उपवास हुए है एवं दोनो के आगे के भाव है। साथ ही तीन चार उपवास भी चल रहें है। आज अनेक श्रावक – श्राविकाओं ने उपवास, एकासण, आयंबिल, बियासण किया है। वहीं महिलाओं द्वारा स्तवन की प्रस्तुती दी गई। पुज्या श्री धेर्य प्रभाजी म.सा. ने बताया कि आठो दिन पर्व को महान बनाना है। इन पर्व में आप किसी कि निंदा प्रशंसा ना करे तो आप का पर्व महान बनेगा। दुसरों कि निंदा करने के बजाय अपने आ को देखे। अपने आप को बदले। 
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