Homeअपना शहरराजगढ़ - कल्पसूत्र का वाचन कल, पर्युषण में पर्व में जितनी आराधना...

राजगढ़ – कल्पसूत्र का वाचन कल, पर्युषण में पर्व में जितनी आराधना करों उतनी कम है – पुज्या श्री सुनीताजी…

राजगढ़। आचार्य प्रवर पुज्य गुरूदेव श्री उमेशमुनिजी के सुषिष्य प्रवर्तक पुज्य श्री जिनेन्द्रमुनि जी म.सा. के आज्ञानुवर्ती पुज्या श्री मधुबालाजी म.सा. आदी ठाणा -7 चामुर्मास आराधना हेतु स्थानक भवन में विराजीत है। पुज्या श्री मधुबालाजी म.सा. ने बताया की की बचपन में पढ़ाई नही कि तो जवानी में पछताना पड़ता है। जवानी में धन नही कमाया तो बुढ़ापे में पछताना पड़ता है। मनुष्य जीवन में धर्म नही किया तो भव-भव में पछताना पड़ता है। गढ़ को छोड़कर गाड़ी की और भाग रहै, शंकर को छोड़कर कंकर की और भाग रहें है। जीनवाणी को छोड़कर आकाशवाणी की और भाग रहें है। गुरू दर्षन को छोड़कर दुर दर्शन की और भाग रहें है। अपने जीवन में कभी भी क्रोध नही आना चाहिए। क्रोध अंधा होता है। माता -पित, भाई -बहन, पति -पत्नी, साहु-बहु और संसार के रिश्ते इनमें क्रोध आता तो ये टुट जाते है। अपना जीवन विनयवाना होना चाहिए। नम्रता होनी चाहिए। बड़ो का आदर भाव होना चाहिए। विनय गुण होना चाहिए। वहीं पुज्या श्री सुनीता जी म.सा. ने बताया की एक बच्चा पर्व में मिठाइ को छोड़ देता है। मगर उनके माता-पिता कोइ तपस्या भी नही कर पाते है। ये पर्व में जितनी आराधना करनी है वह कम है। हो सके तो रात्रि भोजन का त्याग करना चाहिए। दाल-बाटी के साथ लसहुन कि चटनी मिल जाये तो भोजन बहुत अच्छा लगता है। इसी तरह जीवन में त्याग होना चाहिए। पर्व के दिनों में उपवास एकासन, आयबिल, व्यक्ती नही करता तो पर्व अच्छा नही लगता है।
स्थानक समाज के हितेश वागरेचा ने बताया की कल दिनांक 23 अगस्त को दोपहर 2 बजे कल्पसुत्र का वाचन होगा। कल दोनो समय स्वामीवात्सल्यहै। सुबह का स्वामीवात्सल्य शांतिलाल जी मामा की और से एवं शाम का भेरूलाल मोतीलाल वागरेचा की और से है। आज श्रीमती समीक्षा लुणावत के 31 उपवास हुए है। छोटी तपस्या में 2, 4, 5, 7 उपवास की तपस्या चल रही है। आज विनोद चोरड़िया ने शीतव्रत के पचखान लिये। जिनका श्री संघ की और से बहुमान किया। नवकार मंत्र में महिलाओं द्वारा जाप चल रहें है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!