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राजगढ़ – साध्वीश्री को श्री संघ ने दि मालव शिरोमणी की उपाधि, क्षमा सुख का हर द्वारा खोलती है:- पुज्या श्री मधुबालाजी…

राजगढ़। आचार्य प्रवर पुज्य गुरूदेव श्री उमेशमुनि जी म.सा. के प्रवर्तक पुज्य श्री जिनेन्द्र मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती पुज्या श्री मालव शिरोमणी मधुबाला जी म.सा. ने बताया की क्षमा सबसे पहले अपने शत्रु से मांगनी चाहिए। बेर कि आग को बुझाने का काम फायर ब्रिगेड करता है। आठो दिन जीनवाणी सुनर अपने जीवन में उतारनी चाहिए। 364 दिन आप के 1 दिन स्थानक भवन में आक पोषध व्रत करना चाहिए। दो भाइयों को, पति-पत्नी, सास -बहु, देरानी – जेठानी इन सारे रिश्तो का ये संवत्सरी पर्व आता है। इस पर्व में हाथ जोड़ क्षमा मांगने से सारे रिश्ते जुड़ जाते है। दो दिलों का मिलाप हो जाता है। क्षमा सुख का हर द्वार खोलती है। दुरगती का द्वारा बंद करती है। वहीं पुज्या श्री सुनिता जी म.सा. ने कहा की आज क्षमा दिवस है शरीर में दिमाग को हमेशा ठंडा रखना चाहिए व जिभ को शक्कर जैसे रखना चाहिए। क्षमा विरो का आभुषण है। सालभर अगर धर्म आराधना ना करे और संवत्सरी को हि आराधना करे तो भी धन्यवाद का पात्र है। संवत्सरी के दिन आलोचना, संध्या प्रतिक्रमण, पोषव्रत, उपवास करना चाहिए।
स्थानक समाज के हितेष वागरेचा ने बताया कि पर्व में आठो दिन अच्छी धर्म आराधना संवत्सरी के दिन अनेक श्रावक-श्राविकाओं व बच्चों – बच्चियों ने करिब 100 पोषधव्रत किया। अठ्ठाई कि तपस्या पुर्ण हुई। क्षमा के उपर एस कुमार बुरड़, हितेश वागरेचा, प्रविण वागरेचा, महेष मुणत (दाहोद), कु. चांदनी वागरेचा आदी ने पर्व के बारे में बताया। वहीं महेश मुणत, दिलिप गोलेच्छा दोनो का श्री संघ द्वारा बहुमान किया गया। वहीं राजगढ़ में म.सा. के सानिध्य में अनेक सामयिक, उपवास, तपस्या, हुई तो श्री संघ द्वारा पुज्या श्री मधुबालाजी म.सा. को मालव शिरोमणी की उपाधि दी गई।

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