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पेटलावद – संथारा पूर्वक मृत्यु पर तेरापन्थ भवन में आयोजित हुई स्मृति सभा, उमड़ जन सैलाब…

गोपाल राठौड़, पेटलावद। भले ही जन्म सबके लिए सहज ही उत्सव हो लेकिन  संयम-त्याग और समभावपूर्वक मृत्यु का वरण करने वाले वीरो के लिए मृत्यु महोत्सव बन सकती है। मृत्यु को  सदा के लिए टालना चाहे किसी के वश की बात न हो लेकिन धर्ममय और पराक्रमी जीवन जीकर मृत्यु को सुधारा तो जा ही सकता है। जैन दर्शन में संथारे का वास्तविक अर्थ भी यही है कि जीने के मोह और मौत के भय इन दोनो से परे होकर समाधि का अनुभव करने से है।
 उक्त आशय के उदगार श्री जैन श्वेताम्बर तेरापन्थ धर्मसंघ के 11 वे अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या  साध्वी श्री प्रबलयशाजी ने  श्राविका श्रीमती चाँदबाई मूणत के संथारा पूर्वक मृत्यु पर तेरापन्थ भवन में आयोजित  स्मृति सभा मे व्यक्त किए। आपने कहा कि यह कायरो का नही वरन वीरो का पथ है। जहा 2 मिनट का भावपूर्ण अनशन भी महत्त्वपूर्ण होता है वहा करीब 39 घण्टो के  तिविहार अनशन (यानी जीवन भर के लिये पानी के अतिरिक्त पोरे भोजन का त्याग) की प्राप्ति आचार्यश्री महाश्रमण की महान कृपा व स्वयम चाँदबाई के दृढ़ मनोबल व वैराग्य भाव से ही सम्भव हो पाया है। आपने इस अवसर पर श्री वर्धमान स्थानक भवन में चतुर्मासरत साध्वी श्री इंदुमतीजी आदि साध्वियों के संथारे में आध्यात्मिक सहयोग पर हार्दिक प्रमोद भाव व्यक्त किए।
इस अवसर पर साध्वी श्री सौरभयशाजी  और साध्वी सुयशप्रभाजी द्वारा भावपुर्ण गीत के माध्यम से प्रेरणा देते हुए कहा कि कोई मनुष्य हस कर तो कोई रोकर मरते है लेकिन उस व्यक्ति का जीवन सार्थक बन जाता है जो कुछ  हो कर मरते है। आपने जीवन में किसी की आध्यात्मिक सेवा करने के  संस्कार को बड़ा महत्त्वपूर्ण बताया।
इस अवसर पर श्रद्धांजलि देते हुए वरिष्ठ श्रावक राजेन्द्रजी कटकानी ने कहा कि  श्राविकाजी के निर्भयतापूर्वक और साहसी जीवन की सराहना करते है।
वही गायत्री परिवार की ओर से श्री जीवनजी भट्ट ने इसे आदर्श मृत्यु बताया।
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष झमकलालजी भंडारी , श्रीवर्द्धमान स्थानकवासी श्री संघ के अध्यक्ष नरेन्द्रजी कटकानी, तेरापंथी महासभा के प्रदेश प्रभारी दिलीपजी भंडारी,तुलसी बल विकास समिति कोषाध्यक्ष लोकेशजी भंडारी, अणुव्रत  समिति अध्यक्ष  बसन्तीलालजी पटवा,फूलचन्द जी ,अणुव्रत समिति मंत्री सचिन मूणत , कन्या मण्डल संयोजिका पूर्वा निमजा,  मूणत परिवार की बहुओ, मुक्ता मूणत, सारिका,  निराली मोदी, दिया-रिया-रिद्धिमा आदि ने भी अपनी भावनाए व्यक्त की। कार्यक्रम संयोजन  तेरापन्थ युवक परिषद मंत्री राजेश वोरा ने किया। इस अवसर पर परिवरिकजनो ने वर्ष भर के लिए विभिन्न त्याग प्रत्याख्यान लिए। परिवार की ओर से जैन समाज की विभिन्न संस्थाओं, व नगर की विभिन्न संस्थाओं को उदारतापूर्वक  सहयोग राशि भेट की गई।

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