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राज्य शासन ने डीएलएड नहीं करने वाले सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों पर की सख्ती, 6 माह का कोर्स नहीं किया तो छीन जाएगी नौकरी…

भोपाल। डेस्क।  राज्य शासन ने डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) नहीं करने वाले सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों पर सख्ती शुरू कर दी है। शासन ने ऐसे शिक्षकों के लिए फरमान जारी किया है कि वे छह माह का कोर्स कर लें, वरना उनकी नौकरी चली जाएगी। राजधानी में शिक्षकों को मंगलवार को ये आदेश मिला है और इसी दिन रात 12 बजे तक ऑनलाइन आवेदन करने का फरमान है। इसे लेकर शिक्षकों में रोष है। प्रदेश में अब भी एक लाख 21 हजार शिक्षक पढ़ाने की योग्यता नहीं रखते हैं।
”निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई)” के तहत प्राइमरी और मिडिल स्कूल के शिक्षक डीएलएड योग्यताधारी होने चाहिए। पिछले सात सालों में तीन बार केंद्र सरकार डीएलएड करने की समयसीमा बढ़ा चुकी है। फिर भी एक हजार 111 सरकारी और एक लाख 20 हजार प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों ने डीएलएड नहीं किया है। उधर, राज्य सरकार को मार्च 2019 तक का मौका मिला है। इसके बाद अयोग्य शिक्षकों से पढ़ाई नहीं कराई जा सकेगी। इसे देखते हुए शासन ने सख्ती दिखाई है।
ऐसे शिक्षकों से कहा गया है कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) से डीएलएड का कोर्स कर योग्यता अर्जित कर लें, वरना सेवा से बाहर कर दिए जाओगे। एनआईओएस छह माह का कोर्स करा रहा है। जिसे दो साल के डीएलएड कोर्स के समान माना गया है।

शिक्षकों को खुद देनी होगी फीस
एनआईओएस से छह माह का कोर्स करने के लिए शिक्षकों को खुद फीस देनी होगी। उनसे 4,500 रुपए पंजीयन और सात सौ रुपए प्रति पेपर फीस ली जाएगी। ये पत्राचार पाठ्यक्रम है। इसलिए शिक्षकों को छुट्टी भी नहीं मिलेगी।

शिक्षक नाराज, कहा- आंदोलन करेंगे
शासन की सख्ती से शिक्षक नाराज हैं। वे इसे सीधी धमकी बताते हैं। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के शिक्षा प्रकोष्ठ के संयोजक अरविंद भूषण श्रीवास्तव कहते हैं कि शासन को योग्यता ही अर्जित कराना है तो कोर्स पर आने वाला खर्च खुद उठाए। ये खर्च शिक्षकों पर क्यों डाला जा रहा है। वैसे भी सरकारी शिक्षकों को विषयवार, कक्षावार और सेवाकालीन प्रशिक्षण लगातार दिया जाता है। इससे वे अपने काम में दक्ष हो गए हैं। सिर्फ प्रमाण-पत्र की जरूरत है। वहीं मप्र शासकीय अध्यापक संगठन के प्रदेश संयोजक उपेंद्र कौशल कहते हैं कि हमने विरोध दर्ज करा दिया है, जल्द ही ज्ञापन सौंपेंगे। जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे।

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