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आज भारत आएंगे फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ले जाएंगे वाराणसी

नई दिल्ली। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की भाचूक से प्रभावित भारत यात्रा के दो सप्ताह बाद बाद भारत जा रहे फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रॉन वैसी किसी गलती या चूक से बचना चाहेंगे। समान राजनीतिक विचार, युवावस्था और सुंदरता को लेकर इन दोनों नेताओं की तुलना की जाती है लेकिन फ्रांसीसी राष्ट्रपति ट्रूडो की यात्रा जैसे विवाद से बचने के लिए भारत में अपनी अलग छवि पेश करना चाहेंगे। ट्रूडो को लेकर भारत में पहले में काफी संदेह जताया जा रहा था। इसकी वजह है कि कनाडा सिख अलगाववादियों को लेकर काफी नरम रुख अपनाता रहा है। मुंबई में तो ट्रूडो के साथ एक पूर्व उग्रवादी को भी रात्रि भोज के लिए आमंत्रित किया गया था, जिसकी काफी आलोचना हुई थी। यह खुलासा होने से पहले ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रडो का जो स्वागत किया वह ठंडा बताया गया था लेकिन माना जा रहा है कि मैक्रॉन का स्वागत मोदी गर्मजोशी से करेंगे। पिछले साल दोनों की पेरिस में मुलाकात काफी गर्मजोश थी। फ्रांस का कहना है कि मैक्रॉनइस यात्रा में भारतीय प्रधानमंत्री के साथ कुल मिला कर एक लम्बा समय बिताएंगे।‘‘ दोनों के बीच मैक्रॉन के पहले नौ माह के कार्यकाल में काफी गर्मजोशी वाले संबंध बन गए हैं।’’ शनिवार को मैक्रॉन मोदी बैठक होगी। रविवार को मैक्रॉन सौर बिजली शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। उनके साथ उनकी पत्नी ब्रिगेट भी आ रही हैं। सोमवार को मैक्रॉन वाराणसी जाएंगे। वहीं सूत्रों ने कहा कि यह‘‘ महज रस्मी दौरा नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा और रक्षा जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में सहयोग के अलावा समुद्री और अंतरिक्ष क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर जोर होगा। फ्रांसीसी सूत्रों ने यह नहीं बताया कि दोनों देश परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में संधि पर हस्ताक्षर करेंगे या नहीं लेकिन भारतीय अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति के दौरे में जैतापुर परमाणु संयंत्र के कामकाज में तेजी लाने के समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। एक फ्रांसीसी सूत्र ने बताया, ‘‘वार्ता के दौरान हिंद महासागर में सहयोग पर विशेष जोर दिया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि हिंद महासागर में फ्रांस के काफी आर्थिक और सैन्य हित हैं। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के एकजुट होने और हिंद महासागर में सहयोग बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष मनीला में आयोजित भारत-आसियान शिखर सम्मेलन के इतर विचार-विमर्श करने को देखते हुए फ्रांसीसी पक्ष की टिप्पणी काफी मायने रखती है। हिंद महासागर में फ्रांस के सैन्य और नौसैनिक ठिकाने हैं जहां फ्रांस की बड़ी आबादी है। हिंद महासागर में चीन की भी नौसैनिक मौजूदगी बढ़ रही है।

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