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पेटलावद – अपने अधिकार के पैसे मांगने के लिए भटक रही क्षेत्र की 350 दाईयां, मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आदेश के बाद भी नहीं किया भुगतान

गोपाल राठौड़, पेटलावद। क्षेत्र की लगभग 350 दाईयां आज भी अपने अधिकार के पैसे मांगने के लिए भटक रही है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार इन दाईयों को पैसा नहीं दे रहा है. जिन्होंने वर्ष 2002 सें 2012 के बीच में ग्रामीण क्षेत्रों और अन्य स्थानों पर अपनी महती सेवा देकर प्रसव के कार्य को करवाया है. उस समय सरकार ने इनका प्रतिएक प्रसव पर 600 रूपए देने का तय किया था. किंतु लगातार 10 वर्षो तक काम लेने के बाद सरकार ने इन दाईयों को एक रूपया भी नहीं दिया. पेटलावद क्षे में 350 है किंतु पूरे जिले में लगभग 3 हजार दाईयां है जो की अपने कार्य का पैसा लेने के लिए सरकार के चक्कर कांट रही है किंतु आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिल रहा है.
सुगना बाई दाई की शिकायत पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने दिनांक 9 अप्रैल 2018 को एक आदेश निकाल कर पेटलावद बीएमओ को दिया की दाईयों का वर्ष 2002 स 2012 तक की राशि का भुगतान किया जाए. क्योंकि उच्च न्यायालय इंदौर द्वारा भी आदेशीत किया गया है.
दाई पार्वती देवदा निवासी झौंसर का कहना है कि आशा कार्यकर्ता के लग जाने से हमें भुगतान नहीं किया गया. जबकि हमारे द्वारा कार्य पूरा किया गया. लगभग हर माह 50 से 60 प्रसव करवाए गए है. किंतु फिर भी भुगतान नहीं हो रहा है.
दाई धापु बिलवाल करनपाड़ा का कहना है कि जब जरूरत थी तब काम तो ले लिया गया ,किंतु अब भुगतान के लिए हाई कोर्ट तक की लड़ाई जीतने के बाद भी हमें इंसाफ नहीं मिल रहा है. हमारे बहनों का पूरा पैसा मिलकर लाखों रूपए है. हमने दूसरे काम छोड़ कर सरकार के इस कार्य को महत्व दिया जिसका हमें आज तक लाभ नहीं मिल रहा है.
मंजु भाबर गोपालपुरा का कहना है कि सरकार ने हमारे साथ धोखा किया है. हाइकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए है कि भुगतान किया जाए तथा इन्हें नौकरी पर भी रखा जाए किंतु किसी भी आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है.
गोराबाई भूरिया रायपुरिया का कहना है कि हम पेटलावद से लेकर दिल्ली तक शिकायत कर अधिकारियों से भुगतान के लिए लिखवा चुकें है किंतु फिर भी हमें भुगतान प्राप्त नहीं हो रहा है.
इस संबंध में बीएमओ डाॅ.उर्मीला चोयल से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 तक दाईयों को पूरे पैसे का भुगतान हो चुका है.और उसके बाद आशा कार्यकर्ताओं की भर्ती हो गई थी. हमारे द्वारा इन्हें कई बार व्हाउचर दिखाए गए है. क्योंकि उस समय नगद भुगतान होता था. 

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