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श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ चातुर्मास 2018 : ज्ञानीयों ने पुण्य प्राप्त करने के 9 मार्ग बताये – आचार्य ऋषभचन्द्रसूरि

राजगढ़। गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने 18 पाप स्थानक और 9 पूण्य स्थानक का विश्लेषण करते हुये आराधकों से कहा कि वैसे तो व्यक्ति जीने के साथ हर कदम पर पाप कर्म बांध ही लेता है । इससे बचने के लिये ज्ञानीयों ने 9 पुण्य प्राप्त करने के मार्ग बताये है । व्यक्ति अन्न का दान करें, पानी का दान करें, मन से अनुमोदना करें, अच्छे वचनों का उपयोग करें वचनों का नियत्रंण रखे, वृक्ष लगाये और उसकी सुरक्षा करें, धर्मशाला बनवाये और गादी, बिस्तर, कम्बल आदि का दान करें, अपनी काया का कष्ट देकर यात्रा करें, अपने सभी मित्रों और स्वजनों आदि को नियमित नमस्कार, जय जिनेन्द्र आदि करें यह सब पुण्य बांधने के मार्ग है । वैसे मनुष्य प्राणातिपात, मृषावाद, अदत्तादान, मैथुन, परिग्रह, क्रोध, मान, माया, लोभ, राग-द्वेष, कलह, अभ्याख्यान, पैशुन्य, रति-अरति, परपरिवाद, मायामृषावाद, मिथ्यात्वशल्य जैसे पाप कर्मो को बांधने के मार्ग पर चल कर अपना जीवनयापन करता है । 9 प्रकार के पुण्य प्राप्त करने के मार्ग पर चल कर इन पाप स्थानकों से मुक्ति प्राप्त करने के लिये मानव प्रभु को साक्षी मानकर इन सभी पापों के लिये क्षमायाचना करता है । व्यक्ति को बड़ा बनने के लिये बहुत मेहनत करना पड़ती है । कोई भी व्यक्ति जन्म से बड़ा नहीं होता जन्म तो बालक के रुप में होता है इंसान अपने अच्छे कर्मो की वजह से पहचाना जाता है । आचार्यश्री ने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा कि व्यक्ति को बड़ा बनने के लिये जरुरत होने पर जन्मभूमि का भी त्याग कर देना चाहिये । तभी व्यक्ति प्रगति के सौपान तक पहुंच सकता है । जो व्यक्ति विनय धर्म से चुक जाता है वही सारे विवाद खड़े हो जाते है ।
प्रवचन की गहुंली श्रीमती हंसाबेन नवीनचंदजी जैन इन्दौर ने की व प्रवचन के पश्चात् प्रभुजी एवं दादा गुरुदेव की आरती का लाभ श्री मान्यवर कांतिलालजी देशमलजी सालेचा मोदरा को प्राप्त हुआ । कार्यक्रम का संचालन श्री हेमन्त वेदमूथा ने किया । संगीतमय प्रस्तुति श्री भूपत खण्डेलवाल ने दी । अट्ठमतप व लोच के तपस्वी का बहुमान पेढ़ी ट्रस्ट एवं चातुर्मास समिति की और से लाभार्थी श्री मान्यवर कांतिलालजी देशमलजी सालेचा मोदरा द्वारा किया गया । श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में चातुर्मास 2018 में वर्षीतप के आराधकों के साथ सिद्धितप, महामृंत्युजय मासक्षमण तप, 36 दिवसीय गुरुतप सहित कई तपस्याऐं चल रही है । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के तत्वाधान में नमस्कार महामंत्र आराधना का लाभ सूरत निवासी श्रीमती सायरा बाई भंवरलालजी सिंघवी परिवार द्वारा लिया गया है । बुधवार को 18 पाप स्थानक संवेदना का संगीतमय कार्यक्रम में श्री हार्दिक शाह ने पूरे संगीत के साथ प्रस्तुति देकर आराधना कर रहे समस्त आराधकों को 18 पापों की आलोचना करवायी । आज गुरुवार को संयम वंदनावली का कार्यक्रम प्रातः 9 बजे से होगा जिसमें सूरत के श्री हार्दिक शाह अपनी प्रस्तुति देगें । बुधवार को 700 से अधिक आराधकों एवं 6 से 14 वर्ष की उम्र की 75 बच्चों ने आयंबिल तप किया । 24 अगस्त को नवकार वंदनावली कार्यक्रम में अहमदाबाद के निकुंज गुरुजी नमस्कार महामंत्र पर अपना विशेष उद्बोधन देगें । 25 अगस्त को 68 तीर्थो की रचना के साथ नमस्कार महामंत्र की वंदनावली का कार्यक्रम प्रातः 9 बजे से प्रारम्भ होगा। दादा गुरुदेव की पाटपरम्परा के अष्ठम पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. आदि ठाणा एवं साध्वी श्री सद्गुणाश्री जी म.सा., साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा., साध्वी श्री प्रमितगुणाश्री जी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में 700 आराधकों के साथ चातुर्मास 2018 चल रहा है।

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