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श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ चातुर्मास 2018 : शब्द ही मल्हम और शब्द ही तलवार है – आचार्य ऋषभचन्द्रसूरिजी

राजगढ़। दादा गुरुदेव की पाटपरम्परा के अष्ठम पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने पर्युषण पर्व की पूर्णाहुति के बाद क्षमायाचना करने आये गुरुभक्तों को प्रवचन वाणी में कहा कि वाणी और व्यवहार शुद्ध है तो जीवन में सबकुछ सरल है मनुष्य किसी के वचनों को सुनकर कटुता पालकर अपराध बोध बना लेता है । क्षमापना ही क्यों करना पड़े अगर तुम कटु वचनों को बोलो ही नहीं और ऐसे वचन सुनकर कटुता को मन में नहीं आने दे तो क्षमापना करना ही नहीं पड़े । कटुता शत्रुता बढ़ा देती है । दंड देने के लिये व्यक्ति व्यवहार व बोलचाल बंद कर देता है । जीवन में सहजता सरलता से परम आनन्द प्राप्त होता है । जो कटुता वाली विचार धारा को समाहित कर लेता है वह इस सुख से वंचित हो जाता है । व्यक्ति चाह कर भी कटुता की गांठ खोल नहीं पाता है । सम्मान की हर व्यक्ति को अपेक्षा होती है । यदि उसकी उपेक्षा होती है तो कटुता ज्यादा बढ़ जाती है । अंहकार का सूई हमेशा चुभती है । यदि जानवर को प्रताड़ना दे तो वह भड़क जाता है । हम किसी का सम्मान नहीं कर सकते है तो हमें उसका तिरस्कार करने का कोई अधिकार नहीं है । शब्द ही मल्हम है शब्द ही तलवार है । व्यक्ति क्रोध और आवेश में अपराध कर बैठता है उस समय यदि क्रोध पर अंकुश लग जाये तो व्यक्ति का जीवन निर्माण हो सकता है अन्यथा जीवन गर्त में चला जाता है । क्रोध का परिणाम आने के बाद व्यक्ति में पश्चाताप के भाव आते है । जो क्रोध पर कंट्रोल कर लेता है उसे सहनशील कहते है, उसकी छबि बनती है । सिर्फ जिन शासन में ही क्षमापना की आराधना की जाती है । इसमें हम 84 लाख जीव योनि से क्षमायाचना करते है । इस अवसर पर मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा. ने भी धर्मसभा को सम्बोधित किया। पर्युषण पर्व आराधना के लाभार्थी श्री पारसमलजी नेनमलजी संकलेचा एवं श्री जितेन्द्रकुमारजी संकलेचा मदुराई व आचार्यश्री, मुनि व साध्वी मण्डल को क्षमायाचना करने आये श्रीसंघो के प्रमुख बड़नगर श्रीसंघ से श्री अक्षय बम, अमित कुमट, राजकुमार नाहर, सुशील श्रीमाल, कैलाश ओरा, मन्दसौर श्रीसंघ से श्री अनिल बाफना, मोहनलाल कर्णावट, खरसौदकलां श्रीसंघ से श्री अशोक ओरा, घेवरमल बाफना, उज्जैन से श्री संजय नाहर व राजेन्द्र भवन ट्रस्टी श्री मनसुख मारवाड़ी आदि का बहुमान श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के ट्रस्टी संजय सराफ, चातुर्मास समिति सदस्य दिलीप पुराणी, दिलीप भण्डारी, के.एम. जैन, प्रकाश छाजेड़, अर्जुनप्रसाद मेहता आदि ने किया । आचार्यश्री ने लाभार्थी परिवार श्री पारसमल नेनमलजी संकलेचा को प्रभु श्री पार्श्वनाथ भगवान की नयनाभिराम प्रतिमा नित्य दर्शन हेतु प्रदान की । बहुमान पश्चात् आचार्यश्री के मुखारविंद से महामांगलिक का श्रवण करवाया गया । दोपहर विजय मुहूर्त में पर्युषण पर्व आराधना के लाभार्थी श्री संकलेचा परिवार द्वारा गुरुपद महापूजन का आयोजन किया गया। दादा गुरुदेव की पाटपरम्परा के अष्ठम पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. आदि ठाणा एवं साध्वी श्री सद्गुणाश्री जी म.सा., साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा., साध्वी श्री प्रमितगुणाश्री जी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में चातुर्मास 2018 चल रहा है।

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