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पालीताणा महातीर्थ पर हुआ आयोजन, श्री पीयूषचंद्र विजयजी ने की 68 दिन की मौन साधना, हुआ मौन महिमावली का वाचन

सरदारपुर। मंगलवार को समूचा मालवांचल गौरव के उन पलों का साक्षी बना जो पालीताणा महातीर्थ पर घटित हुए। दरअसल, इन ऐतिहासिक क्षणों को जिन शासन के इतिहास में पहली दफा घटित हुए क्षण बताया जा रहा हैं। दरअसल, आचार्यश्री ऋषभचंद्र सूरीष्वरजी मसा के षिष्य मुनिराज श्री पीयूषचंद्र विजयजी मसा का पालीताणा में चातुर्मास चल रहा है। उन्होंने इस चातुर्मास के तहत 68 दिनों की मौन साधना की। जिसका समापन मंगलवार को हुआ। यह समापन सामान्य तौर पर नहीं बल्कि ‘‘मौन महिमावली‘‘ के साथ हुआ। जिसकी रचना हाल ही में मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी मसा ने की हैं। बड़ी बात यह है कि मुनिराजद्वय बंधु बेलड़ी के रूप में चर्चित हैं और दोनों का ही चातुर्मास पालीताणा महातीर्थ पर हो रहा है।
68 दिनों की मौन साधना सिद्धाचल महातीर्थ पालीताणा में चातुर्मास के तहत आचार्यश्री ऋषभचंद्र सूरीष्वरजी मसा के षिष्य मुनिराज श्री पीयूषचंद्र विजयजी ने की थी। जिसका समापन मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी मसा द्वारा लिखि गई रचना मौन महिमावली के पाठ से हुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन के साक्षी बनने व महामांगलिक श्रवण करने के लिए राजगढ़ नगर से सैकड़ों गुरु भक्त एक दिन पहले ही पालीताणा पहुंच गए थे। आयोजन में शामिल होने के लिए राजगढ़ सहित झाबुआ, मेघनगर, मुंबई, पालीताणा, बांसवाड़ा, जावरा, नागदा, सुरेंद्र नगर, उज्जैन, चित्तौड़गढ, मंदसौर, खारवा, कला, थांदला, सियाणा आदि स्थानों से गुरु भक्त पहुंचे थे। बालाश्रम व गुरुकुल के 170 विद्यार्थियों ने भी भाग लिया और मौन की महिमा को तल्लीनता के साथ श्रवण किया।

दिन में कम से कम 1 घंटा रहे मौन
उपस्थित गुरुभक्तों को मौन का महत्व बताते हुए मुनिश्री पीयूषचन्द्र विजयजी ने कहा मौन साधना से व्यक्ति के जीवन में अवश्य ही परिवर्तन आते हैं, यह मैंने अनुभव भी किया है। उन्होंने कहा व्यक्ति को जीवन में कम से कम 1 घंटे का मौन रखना ही चाहिए। हम 1 घंटे तक मौन नहीं रह सकते तो कम से मौन रहकर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।

शक्ति, भक्ति और मुक्ती का मार्ग है मौन
मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी ने कहा भगवान महावीर स्वामीजी के समय से लेकर आज भी मौन प्रासंगिक है और यह परंपरा आज भी चल रही है। मौन में सुख है, मौन में समाधि है और मौन में शांति है।  मुनिश्री ने कहा मौन शक्ति है, भक्ति है और मुक्ति का मार्ग भी है। मौन से व्यवहारिक, सांसारिक, व्यवसायिक, आध्यात्मिक जीवन सफल हो जाते हैं। मौन रहने से ऊर्जा का संचार होता है। मौन रहने से अंतर आत्मा की यात्रा का लाभ मिलता है।

इन्होनें भी किया संबोधित
श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के ट्रस्टी सुजानमल जैन ने कहा मौन हमारे मन व क्रोध पर संयम रखने का तप हैं। मुनिश्री ने 68 दिन का मौन रखा, यह बहुत बड़ी बात है। राजगढ़ श्री संघ की ओर से अशोक भंडारी ने कहा बंधु बेलड़ी भंडारी परिवार के ही नहीं बल्कि हम सभी के गुरु हैं। उन्होंने बंधु बेलड़ी से राजगढ़ चातुर्मास की विनती की। साथ ही 2019 में करें महावीर जी मंदिर की प्रतिष्ठा में निश्रा प्रदान करने की भी विनती की।
ये रहे मौजूद  इस अवसर पर अतिथि भरतभाई सोलंकी सियाणा, मदन भाई परमार मुंबई, सुभाष कोठारी झाबुआ, आशीष वोहरा खारुआकला, अभय नलवाया उज्जैन, पालीताणा विधायक भीखाभाई, नगर पंचायत अध्यक्ष यशपाल सिंह, गोहिल तहसील भाजपा अध्यक्ष गोवर्धन मालदार, उपाध्यक्ष गोपाल काछेल आदि का बहुमान किया गया। मौन खोलने के समय प्रथम नवकार मंत्र श्रवण व गुरु पूजन करने का लाभ निशाबेन भरतभाई सोलंकी सियाणा मुंबई, पहला वासक्षेप का लाभ  दिनेश भाई अंबुजा ग्रुप अहमदाबाद, गहूली व दीप प्रज्वलित करने का लाभ नागुलाल जी नवरतनलाल जी डांगी चित्तौड़गढ़ ने लिया। राजगढ़ श्री संघ के दिनेश चतर, माणकचंद पगारिया, अनुप सोनी, सुनील छजलानी, दीपक जैन, सुभाष चत्तर, महेंद्र चत्तर, महेंद्र छाजेड़, घेवरलाल जैन, सुरेश कापड़िया, मांगीलाल कापड़िया समेत कई गुरु भक्त मौजूद रहे। 

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