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राजगढ़ – आचार्यश्री ने पालीताणा की ओर किया विहार, तप से आत्मा कुन्दन होती है – आचार्य ऋषभचन्द्रसूरि

राजगढ़। दादा गुरुदेव की पाटपरम्परा के अष्ठम पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा. आदि ठाणा एवं साध्वीश्री किरणप्रभाश्री जी म.सा., साध्वी श्री सद्गुणाश्री जी म.सा., साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में तपस्वी साध्वी श्री नन्दीयशाश्री जी म.सा. के श्रेणी तप की पूर्णाहुति व पारणे के अवसर पर उनके संसारिक परिवार मुथा श्री पारसमलजी केवलचंदजी जालोर/भिवण्डी वालों ने आचार्यश्री को कामली अर्पित कर गुरु चरण पूजन किया । आचार्यश्री ने तपस्वी साध्वीश्री को मॉ सरस्वती देवी की प्रतिमा भेट की । इस अवसर पर आचार्यश्री ने कहा कि परमात्मा ने मोक्ष के चार द्वार बताये है । दान, तप, उत्तम भावना रखकर व्यक्ति पूण्य का उपार्जन कर सकता है । मरुदेवी माता ने भी उत्तम भावना भा कर केवलज्ञान प्राप्त किया । तप के अनेक मार्ग है- उपवास, एकासना, सिद्धितप आदि शरीर के माध्यम से करके व्यक्ति अपनी आत्मा को शुद्ध कर निर्मल बना लेता है, तप से आत्मा कुन्दन होती है । जिनशासन में विभिन्न प्रकार के तप है, उसी श्रृंखला में श्री पारसमलजी की पौत्री साध्वी श्री नन्दीयशाश्री जी ने बहुत ही छोटी उम्र में चार माह की यह कठिन तपस्या की है । सात सिद्धितप के बराबर एक श्रेणी तप माना गया है । इस अवसर पर तीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, ट्रस्टी संजय सराफ, सहप्रबंधक प्रीतेश जैन, महेन्द्र जैन आदि विशेष रुप से उपस्थित रहे ।

आचार्यश्री ने पालीताणा की ओर किया विहार – दादा गुरुदेव की पाटपरम्परा के अष्ठम पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. एवं मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा. आदि ठाणा का चातुर्मास समाप्ति के पश्चात् आज मंगलवार को पालीताणा (गुज.) की ओर विहार किया । आचार्यश्री शत्रुंजय महातीर्थ में आगामी 14 दिसम्बर से प्रारम्भ होने वाली नव्वाणु यात्रा में निश्रा प्रदान करेगे । इस अवसर पर श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, ट्रस्टी संजय सराफ, वरिष्ठ समाजसेवी राजेन्द्र खजांची, दिलीप पुराणी, दिलीप भण्डारी सहित श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के स्टाफ ने आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया ।

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