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मध्य प्रदेश को फिर मिल सकता है टाइगर स्टेट का दर्जा, कर्नाटक ने छिना था यह दर्जा

भोपाल। मध्य प्रदेश को अप्रैल 2019 में टाइगर स्टेट का दर्जा मिल सकता है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) देहरादून अप्रैल में ‘राष्ट्रीय बाघ आकलन-2018 (बाघों की गिनती) ” के प्रारंभिक आंकड़े घोषित करने की तैयारी कर रहा है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने दिल्ली में बाघ आकलन की समीक्षा बैठक में डब्ल्यूआईआई को अप्रैल तक आंकड़े घोषित करने के निर्देश दिए हैं। इस बार प्रदेश में 400 से अधिक बाघों की उपस्थिति का अनुमान लगाया जा रहा है। एनटीसीए ने दिसंबर 2017 से अप्रैल 2018 के बीच देशभर के सभी संरक्षित और गैर संरक्षित क्षेत्रों में बाघों की गिनती करवाई है। यह गिनती चार साल में एक बार होती है। वर्ष 2014 में कराई गई गिनती में प्रदेश में 308 बाघों की उपस्थिति के प्रमाण मिले थे। इस बार आसार अच्छे बताए जा रहे हैं। गिनती के पहले चरण के रुझान के आधार पर प्रदेश में 400 से अधिक बाघों की उपस्थिति संभावित है। इससे संभावना जताई जा रही है कि इस बार मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा मिल सकता है। हालांकि वर्तमान में डब्ल्यूआईआई देशभर से इकट्ठे डाटा को सॉफ्टवेयर में अपलोड कर रहा है। इसमें करीब तीन महीने लगेंगे। इसके बाद सॉफ्टवेयर पहचान चिन्हों के आधार पर बताएगा कि किस क्षेत्र में कितने बाघ मौजूद हैं।
मध्य प्रदेश से ‘टाइगर स्टेट’ का तमगा वर्ष 2010 में तब छिन गया था, जब 2006 की गिनती के मुकाबले बाघों की संख्या 300 से घटकर 257 रह गई थी और 300 बाघों के साथ यह तमगा कर्नाटक को चला गया था। कर्नाटक ने 2014 की बाघ गणना में 406 बाघों की गिनती कराकर अपनी प्रतिष्ठा को बरकरार रखा। जबकि 2006 में कर्नाटक में 290 बाघ थे और उनकी संख्या लगातार बढ़ती गई। 2014 की गणना में प्रदेश में 308 बाघ पाए गए थे। बाघों की उपस्थिति के संकेत मिले हैं। इन बीटों से लिए बाघों के फोटो, पगमार्क, पेड़ों पर खरोंच के निशान का दस्तावेजीकरण किया गया है। इसे स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसएफआरआई) जबलपुर ने इकट्ठा किया और अक्टूबर में डब्ल्यूआईआई देहरादून को भेजा है। एसएफआरआई ने कुछ डाटा पहले भी भेजा था, लेकिन डब्ल्यूआईआई ने इसमें आंशिक सुधार कराया है। ज्ञात हो कि इस बार प्रदेश में पूरी तरह से वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती की गई है। वन विभाग ने एसएफआरआई से वर्ष 2016 में प्रदेश के संरक्षित क्षेत्र (नेशनल पार्क व अभयारण्य) में बाघों की गिनती कराई थी। तब इन क्षेत्रों में 250 वयस्क बाघ पाए गए थे। जबकि 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर कराई गई गिनती में प्रदेश के इन्हीं क्षेत्रों में कुल 286 बाघ गिने गए थे, जिनमें 222 वयस्क थे। यानी महज दो साल में प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों में 28 बाघ बढ़ गए थे।

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