Homeआलेखआलेख - भला यह कैसी कर्जमाफी, ये कर्जमाफी या छलावा ?

आलेख – भला यह कैसी कर्जमाफी, ये कर्जमाफी या छलावा ?

एक ओर जहाँ किसानों की कर्जमाफी कर सरकार वाहवाही लूटने में लगी है  तो वहीं दूसरी ओर अब तो उन लोगों पर भी कर्जमाफी का ठप्पा लग रहा है जिन्होंने कर्ज लिया ही नहीं,  जी हां मध्यप्रदेश के सागर जिले में कुछ ऐसा ही हुआ है। देवरी और बंडा तहसीलों में जिन किसानो ने कर्ज ही नहीं लिया वो किसान न सिर्फ कर्जदार हो गए बल्कि सरकार अब उनका कर्जा माफ़ कर रही हैं, अब भला यह कैसी कर्जमाफी है ?
बंडा और देवरी तहसील के किसानों पर आफत तो उस वक्त टूट पड़ी जब उन्हें यह पता चला की उन्होंने कर्जा ही नहीं लिया और वह कर्जदार हो गए। वहीं कुछ किसानो की हताशा जाहिर कर रही थी की वह कर्ज पटा चुके हैं लेकिन उनके उपर अभी भी दो लाख से उपर का कर्जा है। इतना ही नहीं देवरी के गौरझामर केन्द्रीय बेंक मर्यादित में एक सूची भी चस्पा की गई जिसमें किसानो के लाखों के कर्जा माफी के आदेश हुए हैं। महका, जनकपुर, नाहरमउ, गुगवारा, चरगँवा के सैकड़ो किसानो को जब यह पता लगा की उनका कर्जा माफ़ हो गया हैं तो वो हक्के बक्के रह गए। तेज़ी से यह खबर फ़ैली और सैकड़ो किसानो ने आक्रोशित होकर गौरझामर में चक्काजाम कर दिया।
अब भला इस कर्जमाफी को क्या नाम दिया जाए, जहां चोरी न करने पर भी इंसान को चोर बनाया जाए वहां किसी भी व्यक्ति का आक्रोशित होना निश्चित है। वहीं किसानों ने जब कर्ज ही नहीं लिया फिर भी सरकार की नजर में उन्हें कर्जदार बताकर उनका कर्जा माफ़ किया जा रहा हैं, यह तो किसानो के साथ धोखा है। और तो और इस मामले पर लीपापोती करने मौके पर एसडीएम् पहुंचे जिन्होंने आश्वासन का हवाला देकर किसानों का चक्काजाम खत्म करवा दिया। यह हाल सिर्फ गौरझामर का नहीं बल्कि बंडा की कई सेवा सहकारी समितियों का हैं। लेकिन सवाल यह है कि जबरन की सरकार की एहसानदारी क्यों थोपी जा रही है। वहीं अधिकारी एक तरफ जहां किसानों को आश्वासन चस्पा रहे है वहीं मीडिया के सवालों पर उन्हें कर्मचारियों की लापरवाही बताकर बात को रफा दफा कर रहे हैं।
अगर किसान कर्जमाफी का यही हाल रहा तो ऐसे में जांच सेवा समितियों को आगे आना चाहिए जिन्होंने उन किसानो को कर्जदार बना दिया, जिन किसानो ने कर्जा लिया ही नहीं। अगर यह बात सच है और सरकार को यह खबर है तो यह किसानो के साथ छलावा हैं, सेवा सहकारी समितियों की यह हरकत से सरकार बेखबर हैं तो सरकार खबरदार हो जाए क्योंकि यह प्रदेश का बड़ा सहकारिता घोटला हो सकता है।

इस लेख की लेखक ज्योति मिश्रा  फ्रीलांस जर्नलिस्ट ग्वालियर (म.प्र.) है। 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!