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रिश्वत मांगने के आरोप में एसडीओपी कार्यालय के रीडर को न्यायालय ने सुनाई पांच वर्ष सश्रम कारावास की सजा, बंदूक लायसेन्‍स के नामांतरण के संबंध में मांगी थी रिश्वत

धार। माननीय विशेष न्‍यायाधीश महोदय धार श्रीमती डॉ. शुभ्रासिंह द्वारा आज निर्णय पारित करते हुये आरोपी बसंतसिंह धुंध तत्‍कालीन रीडर कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) सरदारपुर, जिला धार को भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 में पांच वर्ष का सश्रम कारावास एवं रूपये 3000/- जुर्माना से दण्डित किया गया है तथा धारा 13 (1)डी सहपठीत धारा 13(2) में पांच वर्ष के सश्रम कारावास व 3000/-रू के अर्थदण्‍ड से दण्डित किया जाकर आरोपी को जेल वारंट जारी कर जेल भेजा गया। आरोपी द्वारा दण्‍ड की राशि अदा न करने पर 6-6 माह का अतिरिक्‍त कारावास भुगताया जायेगा। जिला लोक अभियोजन अधिकारी जिला धार श्री आरडी जमरे ने बताया कि फरियादी ओम प्रकाश पिता शंभुलाल पाटीदार ग्राम बिछीया तह. सरदारपुर जिला धार का दिनांक 02.12.2015 को बसंतसिंह धुंध रीडर सहायक उप निरीक्षक, अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) सरदारपुर से बंदूक लायसेन्‍स के नामांतरण के संबंध में मिला तो आरोपी बसंतसिंह धुंध रीडर ने बंदूक लायसेन्‍स के नामांतरण के आवेदन पर टीप अंकित कर एसपी कार्यालय धार को भेजने के एवज में 2500/-रूपये की मांग की और बोला की 2500/-रूपये दोगे तो ही बंदूक के लायसेन्‍स का नामांतरण के आवेदन पर टीप अंकित कर एसपी कार्यालय भेजेगा। ओम प्रकाश पाटीदार ने दिनांक 18.02.16 को लोकायुक्‍त कार्यालय इन्‍दौर में जाकर लिखित में लोकायुक्‍त एसपी को शिकायत की थी। पुलिस अधीक्षक लोकायुक्‍त द्वारा एक टीम गठित की गई थी। जिसमें पूरी टीम का संचालन टीआई विजय चोधरी ने किया था। दिनांक 19.02.16 को करीबन 12:00 बजे कार्यालया अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) सरदारपुर के बहार ओम प्रकाश पाटीदार ने जैसे ही बसंतसिंह धुंध को रिश्‍वत राशि दी तो उसने उस राशि को लेकर अपने पेंट की दाहिनी जेब में रख लिये तुरंत ही ट्रेपदल के सदस्‍यों ने उसे रूपये लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। टीआई आशा सेजकर मेडम द्वारा अनुसंधान पूर्ण कर विशेष न्‍यायालय धार के समक्ष चालान प्रस्‍तुत किया। जिसमें उनके द्वारा 22 गवाहों की सूची पेश की गई थी। जिस पर से माननीय न्‍यायालय द्वारा आरोपी बसंतसिंह धुंध के विरूद्ध भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 एवं धारा 13(1)डी सहपठीत धारा 13(2) का आरोप लगाया गया था। 22 गवाहों की सूची में से अभियोजन द्वारा अपने मामले को प्रमाणित करने के लिए मात्र 10 गवाह पेश किये गये, माननीय न्‍यायालय ने अभियोजन साक्षियों की साक्ष्‍य पर विश्‍वास कर अपराध प्रमाणित मानकर आरोपी को दण्‍डादेश के आदेश से दण्डित किया। इस प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्री त्रिलोकचन्‍द्र बिल्‍लौरे, उप संचालक (अभियोजन) जिला धार द्वारा कि गई।

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