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खिलेड़ी – होलिका दहन के बाद छाया होली का उल्लास, बच्चों में रहा विशेष उत्साह

जगदीश चौधरी, खिलेडी। बुधवार को रात्रि मे शिव मोहल्ला व कालीका माता मन्दिर एवं बाबारामदेव मन्दिर मे बच्चों द्वोरा लकड़ी कंडे एकत्रित कर सुबह गुरुवार शुभ मुहूर्त मे पुजन कर विधि विधान से होली दहन की गई।  होली व धुलेंडी यहाँ नगर समेत ग्रामीण क्षेत्र मे धूमधाम से मनाई गई। लोगों ने एक दुसरे को गले मिलकर बधाई दी। होली का दहन के बाद धुलेंडी का रंग लोगों मे जमकर चढा व एक दुसरे को रंग व गुलाल लगाकर होली की बधाई दी। वही कई जगह पानी मे एक दुसरे को भिगोकर भी होली का मजा लिया गया फाग यात्रा भी निकाली गई यात्रा मे डीजे की धुन पर युवा जमकर थिरके व गुलाल उडाकर धूमधाम से होली मनाई।

प्रहलाद और होलिका की कथा
होली का त्यौहार प्रह्लाद और होलिका की कथा से भी जुडा हुआ है। विष्णु पुराण[4] की एक कथा के अनुसार प्रह्लाद के पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर देवताओं से यह वरदान प्राप्त कर लिया कि वह न तो पृथ्वी पर मरेगा न आकाश में, न दिन में मरेगा न रात में, न घर में मरेगा न बाहर, न अस्त्र से मरेगा न शस्त्र से, न मानव से मारेगा न पशु से। इस वरदान को प्राप्त करने के बाद वह स्वयं को अमर समझ कर नास्तिक और निरंकुश हो गया।  वह चाहता था कि उनका पुत्र भगवान नारायण की आराधना छोड़ दे, परन्तु प्रह्लाद इस बात के लिये तैयार नहीं था। हिरण्यकश्यप ने उसे बहुत सी प्राणांतक यातनाएँ दीं लेकिन वह हर बार बच निकला। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी। अतः उसने होलिका को आदेश दिया के वह प्रह्लाद को लेकर आग में प्रवेश कर जाए जिससे प्रह्लाद जलकर मर जाए।

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