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मध्यप्रदेश में जून में फिर किसान आंदोलन, शहर नहीं आएंगे फल, सब्जी और अनाज

भोपाल। मध्य प्रदेश में मंदसौर गोलीकांड के बाद एक बार फिर बड़े किसान आंदोलन की तैयारी शुरू हो गई है। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने एक से पांच जून तक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा की है। इसमें गांव से न तो फल, सब्जी, दूध आएगा और न ही अनाज आने दिया जाएगा। संगठन का आरोप है कि चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल के एजेंडे में किसान और खेती नहीं है। आंदोलन के जरिए किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिलने, फल, दूध व सब्जियों का समर्थन मूल्य घोषित करने, संपूर्ण कर्जमाफी और किसानों को पेंशन देने की मांग रखी जाएगी। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’ ने बताया कि हर साल पांच जून से आंदोलन किया जाता है लेकिन इस बार तारीख में बदलाव किया है। किसी भी राजनीतिक दल ने अपने घोषणा पत्र में लागत मूल्य देने की बात नहीं की है। भीख देने की प्रतिस्पर्धा चल रही है। कोई छह हजार रुपए सालाना देने की बात कर रहा है तो कोई 72 हजार रुपए साल बता रहा है।

उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के समय दो लाख रुपए का कर्ज माफ करने की बात की पर ऐसी नीति पर किसी ने काम नहीं किया कि किसान कर्जदार ही न हो। दरअसल, भीख के बदले वोट का फॉर्मूला चल रहा है, जो ठीक नहीं है। एक से पांच जून तक के आंदोलन के केंद्र में गांव रहेंगे। गांव से फल, सब्जी, दूध और अनाज को वहीं रोकेंगे। महासंघ अध्यक्ष के अनुसार हमारी मांग है कि किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिले। स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू किया जाए। इसको लेकर सरकार लगातार गलतबयानी कर रही है। केंद्र सरकार ने ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है कि इसे लागू नहीं किया जा सकता है। फल, दूध और सब्जी का न्यूनतम समर्थन घोषित किया जाए। किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्ज तो माफ किया जा रहा है पर एक बार पूर्ण कर्जमुक्ति हो। मंडियों में खरीदी के पुख्ता इंतजाम हों। खेतों के आकार अब काफी छोटे हो गए हैं, इसलिए आय भी कम हो गई है। इसके मद्देनजर पेंशन शुरू की जाए। कांग्रेस ने एक हजार रुपए पेंशन देने का वचन घोषणा पत्र में दिया है। उन्होंने कहा कि मंदसौर गोलीकांड के दोषियों के खिलाफ अभी तक एफआईआर नहीं हुई है। शर्मा ने मांग उठाई कि पांच जून के पहले एफआईआर दर्ज की जाए। किसानों के ऊपर दर्ज प्रकरणों को तत्काल वापस लिया जाए।

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