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पेटलावद – लाखों रूपयें से बने कांजी हाउस में भरा भंगार, बगीचें में छोडे जा रहे मवेशी, बगीचें में हुए भ्रष्टाचार को लेकर पूर्व नप उपाध्यक्ष बैठे थे भुख हड़ताल पर

आयुषी कुशल राठौड़, पेटलावद। गत दिनों नगर में घुम रहे मवेशियों के खिलाफ अभियान छेडते हुए नगर परिषद ने पशुओं को पकड़कर 49 लाख रूपयें से बने बगीचें में छोड़ा जा रहा है जहां पशु दिन भर धुप और बारिष में रहने को मजबुर है। इसके साथ हीं वहां उनके पिने के लिए नगर परिषद द्वारा पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है जिससे वह गंदा पानी पीने का मजबुर है। नगर परिषद द्वारा चलाई गई इस मुहिम की नगर के नागरिकों ने प्रशंसा भी की है और इस मुहिम के तहत् पशुओं को पकड़कर बगीचें में लाया गया है जिससे नगर की यातायात व्यवस्था में भी सुधार आया है। लेकिन उन्हें इस दशा में रखना क्या सहीं है?   

लाखों रूपयें से बने कांजी हाउस में भरा भंगार-
नगर परिषद द्वारा पूर्व में लाखों रूपयें खर्च कर नगर परिषद के पिछे कांजि हाउस बनाया गया था जिससे की नगर में घुम रहें मवेशियों को वहां रखा जाए, लेकिन परिषद की लापरवाहीं व उदासिनता के कारण उक्त कांजि हाउस में आज भी भंगार भरा हुआ होकर ताला लगा हुआ है, लाखों रूपयें से बने इस कांजी हाउस का उपयोग केवल भंगार भरने में किया जा रहा है।
नगर के रहवासी महेश व्यास द्वारा बताया गया कि जो कांजी हाउस पुराना था नगर परिषद को उसी का उपयोग करना चाहियें। नगर परिषद द्वारा पशुओं को इस बगीचें में भुखे प्यासे छोडा जा रहा है यह नगर परिषद की लापरवाहीं है, क्योंकि उक्त बगीचा बच्चों को खेलने के लिए लाखों रूपयें खर्च कर बनाया गया था जिसमें बच्चों के खेलने के लिए कई संसाधन लगे हुए आज भी है जो कि बारिष के पानी से ऐसे हीं पड़े पड़े सड़ने की कगार पर है या कुछ सड़ चुके है। जिससे प्रशासन का लाखों रूपयां व्यर्थ हीं पानी में बहाया गया है। आज भी उक्त बगीचा चालु देखने की राह देख रहा है लेकिन नगर परिषद की उदासिनता के चलते उसे कांजी हाउस के रूप में उपयोग किया जा रहा है। जो बगीचा बच्चों के खेलने के लिए बनायां गया है उस बगीचें में पशुओं को रखा जाना क्या उचित है? नगर परिषद द्वारा अगर पूर्व से हीं इस बगीचें में पेड़, पौधे लगायें होतेे तो आज वह पेड़, पौधे इस बगीचें को नया रूप दे सकते थे।
बुजुर्गो के टहलने का नहीं बचा कोई स्थान।
नगर में महिलाएं, बच्चों, बुजुर्गो सहित अन्य नागरिको के लिए अभी तक नगर परिषद के द्वारा कोई ऐसी व्यवस्था नहीं की गई है जिससे की कुछ समय लिए वह टहल सकें। मजबुरन नागरिको को थांदला रोड़, बामनिया रोड़, कानवन रोड़ तथा रायपूरिया रोड़ की और जाना पड़ता है, जिस कारण से कई बार वाहनों की चपेट में आने से नागरिक घायल भी हो चुके है और अपनी जान तक गंवा चुके है।

अनशन पर बैठे थे पूर्व न.प.उपाध्यक्ष –
इस संबंध में पूर्व नगर परिषद उपाध्यक्ष सुरेन्द्र भंड़ारी ने बताया कि इस बगीचें में हुए भ्रष्टाचार को लेकर मेरे द्वारा भुख हड़ताल भी की गई थी, मेने परिषद में कई बार इस बगीचेें  के संबंध में जानकारी मांगनी चाहीं, लेकिन मुझे किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी गई है। नगर परिषद द्वारा मवेशियों को वहां रखना गलत है, साथ हीं नगर परिषद द्वारा इस बंगीचें को कांजी हाउस बनाया जा रहा है वह नगर की जनता के साथ विश्वासघास होता नजर आ रहा है। जबकि इसकी मुलभुत सुविधा बगीचें के रूप में दी गई थी।

जल्द होगा पुराना कांजी हाउस चालु –
इस संबंध में नगर परिषद सीएमओं लालसिंह राठौर से चर्चा की गई तो उन्होने बताया कि जो पुराना कांजी हाउस है, उसमें जो भंगार पड़ा हुआ है, उसे निलाम करने की प्रक्रिया प्रचलित करने जा रहीं है। जिससे दोबारा इस कांजी हाउस का उपयोग किया जा सकेगा। जो भी मवेशी बाजार में घुम रहे है उन्हें फिलहाल बगीचें लाकर छोडा गया है, यह एक वेकल्पीक व्यवस्था है।  

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