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रायपुर – छत्तीसगढ़ प्रांतीय अखंड ब्राम्हण समाज द्वारा आयोजित युवक-युवती परिचय सम्मेलन में हुई शामिल राजयपाल, शादी-विवाह में आई सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का संकल्प लें – राज्यपाल सुश्री उइके

रायपुर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज यहां रायपुर में छत्तीसगढ़ प्रांतीय अखंड ब्राम्हण समाज द्वारा आयोजित युवक-युवती, कात्यायनी, परित्यक्ता परिचय सम्मेलन में शामिल हुई। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि शादी-विवाह में आ गई सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का संकल्प लें तथा नई पीढ़ी के लोग भी इसमें सहयोग करें। राज्यपाल ने इस तरह के परिचय सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा कि इससे विवाह योग्य युवक-युवतियों को वर-वधु चुनने का अवसर उपलब्ध होता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में इतनी आत्मीयता है कि मुझे लगता है कि मैं उनके बीच से हूं। मुझे विभिन्न पदों के बाद छत्तीसगढ़ के राज्यपाल पद का दायित्व संभालने का अवसर मिला। अलग-अलग जगह से लोग यहां आकर मुझसे मिलते हैं। उनमें एक अपनापन लगता है।  राज्यपाल ने कहा कि हर माता-पिता की यह इच्छा होती है कि वह अपनी संतानों को अच्छा पढ़ा-लिखाकर अपने जीवनकाल में समय पर उनकी शादी कर दे। जैसे-जैसे बेटी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे उनकी माता-पिता की चिंताएं भी बढ़ने लगती हैं। बेटी की शादी करने के बाद उनके माता-पिता कुछ हद तक अपने आप को पितृऋण से उरिण महसूस करते हैं। किन्तु आज के जमाने में अपनी संतानों खासकर बेटियों का शादी करना उतना आसान नहीं है। शादी करने के लिए सबसे पहले योग्य वर तलाश करना पड़ता है। इस तरह के युवक-युवती परिचय सम्मेलन योग्य वर-वधु की तलाश में बहुत महत्वपूर्ण मददगार साबित होते हैं। जीवन में सब कुछ हमारी इच्छाओं के अनुरूप नहीं होता है। कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती है कि बसा-बसाया गृहस्थ उजड़ जाता है और बेटियों को एकांगी जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाना पड़ता है। विधवा एवं परित्यक्ता महिलाओं के लिए इस तरह के परिचय सम्मेलन उनको नया जीवन प्रारंभ करने के लिए अवसर उपलब्ध कराता है। सुश्री उइके ने कहा कि भारतीय समाज में विवाह एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यदि हम अपने प्राचीन समय में जाएं तो यह दो परिवारों का मिलन माना जाता रहा है। दूसरे रूप में देखें तो नए परिवार का जन्म और नई पीढ़ी को जिम्मेदारी देना भी होता है। पहले यह सामान्य स्वरूप में था, लेकिन समय के बदलाव के साथ इनमें कुछ दूसरी सामाजिक कुरीतियां भी जुड़ती गई। इनमें दहेज प्रथा सबसे विकराल रूप में सामने आई है। कई बार समाचार पत्रों में दहेज के कारण प्रताड़ना तथा अन्य दुखद घटनाओं की खबर पढ़ने को मिलती है।  कार्यक्रम में सांसद श्री संतोष पाण्डे ने कहा कि कलयुग संगठन का युग है। हर व्यक्ति को संगठन का अधिकार है, लेकिन जब ब्राम्हण समाज द्वारा संगठन किया जाता है, तो उसका दृष्टिकोण सर्व समाज और उनकी समस्या के समाधान की ओर होता है। विधायक श्री विकास उपाध्याय ने कहा कि इस संस्था द्वारा समाज के लोगों को संगठित करने और उनके लिए आदर्श विवाह, कुंडली मिलान तथा अन्य महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं, जो कि सराहनीय है। कार्यक्रम में राज्यपाल सुश्री उइके का आयोजकों ने सम्मान भी किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय महिला आयोग की सलाहकार सुश्री हर्षिता पाण्डे तथा समाज के अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। 

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